नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। असम के धुबरी जिले में सांप्रदायिक तनाव के हालात को देखते हुए मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (CM Himanta Biswa Sarma) ने सुरक्षा बलों को ‘शूट एट साइट’ यानी “देखते ही गोली मारने” का आदेश दिया है। यह आदेश विशेष रूप से रात के समय प्रभावी रहेगा और इसका उद्देश्य इलाके में शांति बनाए रखना है।
हिंसा और तनाव की शुरुआत
मुख्यमंत्री सरमा ने आरोप लगाया कि एक संगठित "सांप्रदायिक समूह" जिले में जानबूझकर हिंसा और अस्थिरता फैलाने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। तनाव की शुरुआत उस वक्त हुई जब बकरीद से एक दिन पहले धुबरी शहर के एक मंदिर के पास मांस के टुकड़े मिलने से माहौल गरमा गया। विरोध-प्रदर्शन के बाद जब हालात थोड़े शांत हुए, तभी अगली रात फिर से मंदिर के पास गाय का सिर फेंका गया और पत्थरबाजी की घटनाएं सामने आईं।
गोमांस माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई
मुख्यमंत्री ने इस बात पर भी चिंता जताई कि इस बार पश्चिम बंगाल से बड़ी संख्या में मवेशी लाकर अवैध रूप से गोमांस का कारोबार किया गया है। उन्होंने इसे "नया गोमांस माफिया" करार दिया और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए।
धुबरी में बढ़ाई सुरक्षा
सीएम सरमा ने यह भी बताया कि "नबीन बांग्ला" नामक एक संगठन ने धुबरी को बांग्लादेश से जोड़ने जैसे भड़काऊ संदेश फैलाए हैं। उन्होंने इसे राज्य की संप्रभुता के खिलाफ साजिश बताया। राज्य सरकार ने धुबरी में सुरक्षा बढ़ा दी है और केंद्रीय बलों की भी तैनाती की गई है। मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की है कि वह अगले साल ईद के मौके पर खुद धुबरी में रहेंगे ताकि माहौल शांतिपूर्ण बना रहे।
क्या होता है शूट एट साइट का आदेश?
‘शूट एट साइट’ यानी “देखते ही गोली मारने” का आदेश भारत में एक बेहद गंभीर और अंतिम विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, जब किसी स्थिति पर काबू पाना मुश्किल हो जाता है और सामान्य कानून व्यवस्था के उपाय विफल हो जाते हैं। ऐसे हालात में पुलिस को पहले गैर-घातक उपायों जैसे आंसू गैस, रबर बुलेट, लाठीचार्ज और वॉटर कैनन का इस्तेमाल करने का निर्देश होता है। लेकिन अगर हिंसा बढ़ जाए, और पुलिस या आम लोगों की जान को तत्काल खतरा हो, तब असली गोलियों का उपयोग किया जा सकता है। हालांकि, इस तरह के सभी फैसले पूरी तरह से कानूनी दायरे और प्रक्रिया के अंतर्गत लिए जाते हैं। इस आदेश का मकसद हिंसा को रोकना और आम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना होता है, न कि किसी विशेष समूह को निशाना बनाना।
कौन देता है आदेश?
भारतीय कानून के तहत यह अधिकार मुख्य रूप से राज्य सरकार के पास होता है, जो ऐसी परिस्थितियों में यह आदेश जारी कर सकती है। इसके अलावा, मौके पर मौजूद कार्यपालक मजिस्ट्रेट या वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी स्थिति की गंभीरता को देखते हुए भीड़ को गैर-कानूनी घोषित कर सकते हैं और आवश्यक बल प्रयोग का निर्देश दे सकते हैं। Assam | Assam Chief Minister | Himanta Biswa Sarma