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दिल्ली में कांग्रेस नेता जयराम रमेश भारत-अमेरिका व्यापार समझौते और "ऑपरेशन सिंदूर" को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: देश में आर्थिक सुस्ती और निजी निवेश की कमी को लेकर कांग्रेस ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और महासचिव जयराम रमेश ने शनिवार को कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से विकास की ओर नहीं बढ़ रही है और इसके लिए नीतिगत अनिश्चितता और कारोबारी माहौल में असुरक्षा जिम्मेदार है।
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भारत की अर्थव्यवस्था स्थिरता की जगह जिद पर अड़ी
रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए लिखा कि भारत की अर्थव्यवस्था स्थिरता की जगह जिद पर अड़ी है। विकास दर का ठहराव नीतिगत फैसलों और प्रशासनिक रवैये की देन है, जबकि अर्थव्यवस्था में नई ऊर्जा भरना न केवल संभव है, बल्कि अत्यंत आवश्यक भी है। उन्होंने कहा कि 2019 में कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती और पीएलआई स्कीम के तहत प्रोत्साहन पैकेज के बावजूद कंपनियों ने निवेश को लेकर उत्साह नहीं दिखाया है। रमेश के अनुसार, मोदी सरकार द्वारा किए गए एक आंतरिक सर्वेक्षण में यह चेतावनी दी गई है कि आगामी वित्त वर्ष 2025-26 में निजी क्षेत्र का पूंजीगत खर्च लगभग 25% तक गिर सकता है।
उद्योग जगत मौजूदा माहौल को जोखिम भरा मान रहा
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कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि बैंक कर्ज देने के लिए तैयार हैं, लेकिन उद्योग जगत मौजूदा माहौल को जोखिम भरा मान रहा है इसलिए निवेश के प्रति उनकी दिलचस्पी कम हो रही है। उन्होंने तीन बड़े कारणों को निवेश की सुस्ती से जोड़ा इसमें पहला कारण मजदूरी में कोई बढ़ोतरी न होना दूसरा कारण जटिल और अपारदर्शी GST प्रणाली और तीसरा आर्थिक विषमता में लगातार इजाफा। जयराम रमेश ने यह तर्क दिया कि जब उपभोग घट रहा हो, तो कंपनियों को उत्पादन क्षमता बढ़ाने का कोई व्यावसायिक कारण नहीं दिखता। उन्होंने कहा कि निवेश केवल आंकड़ों का खेल नहीं है, यह भरोसे और मनोवैज्ञानिक माहौल से भी संचालित होता है।
भाजपा की चुनिंदा कॉरपोरेट समूहों को प्राथमिकता देने की नीति
कांग्रेस का आरोप है कि सरकार की “कर आतंकवाद” जैसी प्रवृत्तियां कुछ चुनिंदा कॉरपोरेट समूहों को प्राथमिकता देने की नीति और बाकी कारोबारियों में फैली अनिश्चितता और भय, निजी क्षेत्र को पीछे हटने पर मजबूर कर रही है। अंत में रमेश ने कहा कि यह आर्थिक ठहराव, सरकार की “दबाव और नियंत्रण आधारित कार्यशैली” का परिणाम है, जो न केवल विकास में रुकावट है बल्कि कारोबारी विश्वास को भी कमजोर कर रही है। Congress
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