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China India Relation: भारत-चीन के बीच द्विपक्षीय संबंधों की गति बनाए रखने पर बनी सहमति-राजदूत शू फिहोंग

चीन के विदेश मंत्री वांग यी तीन दिन की भारत यात्रा पर हैं। नई दिल्ली में उन्होंने विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की। भारत में चीन के राजदूत शू फिहोंग ने दोनों विदेश मंत्रियों के बीच हुई वार्ता के बारे में जानकारी दी। 

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YBN News
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ChinaIndiaRelation Photograph: (ians)

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नई दिल्ली, आईएएनएस। चीन के विदेश मंत्री वांग यी तीन दिन की भारत यात्रा पर हैं। नई दिल्ली में उन्होंने विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की। भारत में चीन के राजदूत शू फिहोंग ने दोनों विदेश मंत्रियों के बीच हुई वार्ता के बारे में जानकारी दी। 

चीन के विदेश मंत्री तीन दिन की भारत यात्रा पर

शू फिहोंग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट कर कहा कि चीन और भारत ने सोमवार को द्विपक्षीय संबंधों की गति बनाए रखने पर सहमति व्यक्त की। यह सहमति चीन के विदेश मंत्री वांग यी और उनके भारतीय समकक्ष सुब्रह्मण्यम जयशंकर के बीच हुई बातचीत से बनी। 

अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लोकतंत्रीकरण

वांग यी ने कहा कि 2.8 अरब से अधिक की संयुक्त जनसंख्या वाले दो सबसे बड़े विकासशील देशों के रूप में चीन और भारत को वैश्विक उत्तरदायित्व की भावना प्रदर्शित करनी चाहिए, प्रमुख शक्तियों के रूप में कार्य करना चाहिए, एकता के माध्यम से शक्ति प्राप्त करने के लिए विकासशील देशों के लिए एक उदाहरण स्थापित करना चाहिए, और विश्व बहुध्रुवीकरण और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लोकतंत्रीकरण को बढ़ावा देने में योगदान देना चाहिए।

दोनों पक्षों के लिए सही रणनीतिक धारणाएं

उन्होंने आगे कहा कि दोनों पक्षों के लिए सही रणनीतिक धारणाएं रखना, एक-दूसरे को प्रतिद्वंद्वी या खतरे के बजाय साझेदार और अवसर के रूप में देखना और विकास एवं पुनरुद्धार में अपने बहुमूल्य संसाधनों का निवेश करना अनिवार्य है। दोनों देशों को पड़ोसी प्रमुख देशों के लिए आपसी सम्मान और विश्वास के साथ सह-अस्तित्व, साझा विकास और विन-विन कॉर्पोरेशन प्राप्त करने के सही तरीके तलाशने चाहिए।

द्विपक्षीय संबंधों में सुधार की गति

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वांग यी ने इस बात पर भी जोर दिया कि चीन मैत्री, ईमानदारी, पारस्परिक लाभ और समावेशिता के सिद्धांतों को बनाए रखने और भारत सहित पड़ोसी देशों के साथ मिलकर एक शांतिपूर्ण, सुरक्षित, समृद्ध, सुंदर और मैत्रीपूर्ण घर बनाने के लिए काम करने को तैयार है। चीन और भारत को आश्वस्त रहना चाहिए, एक ही दिशा में आगे बढ़ना चाहिए, बाधाओं को दूर करना चाहिए, सहयोग का विस्तार करना चाहिए और द्विपक्षीय संबंधों में सुधार की गति को सुदृढ़ करना चाहिए, ताकि दो महान पूर्वी सभ्यताओं के पुनरोद्धार की प्रक्रियाएं पारस्परिक रूप से लाभकारी हों और एशिया तथा समग्र विश्व को निश्चितता और स्थिरता प्रदान करें।

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