नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साइप्रस यात्रा ने भारत-साइप्रस संबंधों में एक नया इतिहास रच दिया। यह पिछले दो दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली साइप्रस यात्रा थी। यह दौरा मोदी के तीन देशों के दौरे का हिस्सा है, जिसमें कनाडा में G7 शिखर सम्मेलन और क्रोएशिया की यात्रा भी शामिल है। यह यात्रा केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि रणनीतिक दृष्टिकोण से बेहद अहम है। निकोसिया में साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडुलाइड्स के साथ प्रधानमंत्री मोदी की गहन वार्ता हुई और लिमासोल में उन्होंने भारतीय समुदाय को भी संबोधित किया। इस दौरान दोनों देशों ने रक्षा, सुरक्षा, व्यापार और तकनीकी क्षेत्रों में सहयोग का विस्तृत खाका तैयार करने का संकल्प लिया।
IMEC परियोजना में एक अहम कड़ी है साइप्रस
मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि भारत और साइप्रस के बीच साझेदारी को रणनीतिक दिशा देने के लिए पूर्ण रोडमैप तैयार किया गया है। साइप्रस की भौगोलिक स्थिति, एशिया, यूरोप और पश्चिम एशिया के बीच, भारत की वैश्विक कूटनीतिक रणनीति के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। मोदी की इस यात्रा का एक प्रमुख उद्देश्य भारत-साइप्रस के बीच रक्षा और सुरक्षा सहयोग को नई दिशा देना था। दोनों देशों ने साइबर और समुद्री सुरक्षा पर संवाद शुरू करने और रक्षा उद्योगों के बीच साझेदारी को बढ़ावा देने पर सहमति जताई। साथ ही, आतंकवाद के खिलाफ सहयोग बढ़ाने के लिए रियल-टाइम सूचना आदान-प्रदान की व्यवस्था करने की घोषणा की गई। भारत की महत्वाकांक्षी इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर (IMEC) परियोजना में साइप्रस एक अहम कड़ी है। भूमध्य सागर के द्वार पर स्थित यह देश भारत-यूरोप व्यापारिक कनेक्टिविटी को मजबूत कर सकता है। खास बात यह है कि 2026 में साइप्रस यूरोपीय संघ परिषद की अध्यक्षता करेगा, जिससे भारत के लिए यूरोपीय बाजारों से जुड़ाव और सुगम हो सकेगा।
बहुपक्षीय मंचों पर समर्थन
मोदी और साइप्रस नेतृत्व ने वैश्विक चुनौतियों और युद्ध की स्थितियों पर भी चर्चा की। दोनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया और आतंकवाद के सभी रूपों के खिलाफ मिलकर लड़ने की प्रतिबद्धता जताई। प्रधानमंत्री मोदी की साइप्रस यात्रा भारत की व्यापक भूमध्य सागर रणनीति का संकेत है। यह केवल द्विपक्षीय संबंध नहीं, बल्कि एक वैश्विक दृष्टिकोण है, जिसमें भारत एक रणनीतिक, तकनीकी और सुरक्षा भागीदार के रूप में उभर रहा है। यह दौरा आने वाले वर्षों में भारत को यूरोप और पश्चिम एशिया से जोड़ने वाले सेतु के रूप में साइप्रस की भूमिका को और मजबूत करेगा।
जानिए क्या हैं IMEC परियोजना
सितंबर, 2023 में नई दिल्ली में जी-20 नेताओं के शिखर सम्मेलन में भारत- मध्य पूर्व- यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) लांच किया गया था। इसका उद्देश्य क्षेत्रों में कनेक्टिविटी और व्यापार बढ़ाकर आर्थि विकास को गति देना है। चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव प्रोजेक्ट के जवाब इंडिया मिडिल ईस्ट यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर की परिकल्पना की गई। यह एक रणनीतिक प्रोजेक्ट है और भारत को एक वैश्विक शक्ति बनने के लिए अहम है। इसमें भारत, यूरोप और अरब प्रायद्वीप के बीच व्यापार, निवेश और संपर्क बढ़ाने के लिए रेलवे, बंदरगाहोंं, ऊर्जा नेटवर्क और डिजिटल ढांचे को समायोजित करते हुए तैयार किया गया मल्टी रोल मॉडल है। यह गलियारा एशिया और यूरोप भौगोलिक, आर्थिक और रणनीतिक रूप से जोड़ेगा।