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Watch : चलती ट्रेन से दागा गया 'घातक ब्रह्मास्त्र', INDIA की रक्षा शक्ति का नया अध्याय | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । कल्पना कीजिए... भारत के विशाल रेल नेटवर्क पर रात के अंधेरे में एक ट्रेन सरपट भाग रही है। यह कोई साधारण मालगाड़ी नहीं है, बल्कि भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) का सबसे बड़ा 'चलंता दुर्ग' है। और उसके भीतर है 'अग्नि प्राइम' - अग्नि श्रृंखला की वह नई पीढ़ी की मिसाइल, जो हल्की है, पर घातक प्रहार के लिए तैयार!
ओडिशा के इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज से डीआरडीओ और सामरिक बल कमान के संयुक्त प्रयास से, दुनिया का वह पहला ऐतिहासिक परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा हुआ, जहां एक बैलिस्टिक मिसाइल को चलती ट्रेन से लॉन्च किया गया।
समूचा आकाश गूंज उठा! जब मिसाइल अपने विशेष रेल-आधारित मोबाइल लॉन्चर से हवा को चीरती हुई आसमान छू गई। यह सिर्फ एक परीक्षण नहीं यह दुश्मनों के लिए खतरे की घंटी थी, भारत की रणनीतिक श्रेष्ठता का उद्घोष था! रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्वयं ट्वीट कर इस तकनीकी विजय की पुष्टि की, जिसने हमारी रणनीतिक क्षमताओं को एक नई ऊंचाई दी है।
यह सफलता क्यों है खास? गेम-चेंजर 'कैनिस्टराइजेशन'
अग्नि प्राइम जिसका वजन पिछली मिसाइलों से काफी कम (सिर्फ 50 टन) है, कई मायनों में एक गेम-चेंजर साबित हुई है। इसकी सफलता के पीछे की तकनीक है 'कैनिस्टराइजेशन'।
1. चलती ट्रेन से लॉन्च: दुश्मनों को भ्रमित करने की कला मिसाइल एक सील्ड कंटेनर में रखी जाती है, जिसे भारत के विशाल रेल नेटवर्क पर कहीं भी, कभी भी ले जाया जा सकता है।
रक्षा विशेषज्ञ (रिटा.) मेजर गौरव प्रताप सिंह के शब्दों में, यह "केवल मिसाइल का सफल परीक्षण नहीं, बल्कि भारत की दूसरी स्ट्राइक क्षमता को मजबूत करना है। यह परीक्षण हमारी स्वदेशी तकनीक का प्रमाण है।" यह निरंतर विकास दर्शाता है कि भारत अब केवल क्षेत्रीय शक्ति नहीं, बल्कि एक उभरती हुई वैश्विक सामरिक शक्ति है।"
इसका सबसे बड़ा रणनीतिक लाभ यह है कि दुश्मन के लिए यह पता लगाना लगभग असंभव हो जाता है कि मिसाइल कहां से लॉन्च होगी। मिसाइल की स्थिति लगातार बदलती रहेगी, जो दुश्मन के सैटेलाइट या जासूसी नेटवर्क को भ्रमित कर देगी। यह अचानक और कम प्रतिक्रिया समय में हमला करने की क्षमता देती है। 'कैनिस्टराइजेशन' इसे वर्षों तक रखरखाव के बिना सुरक्षित भी रखता है।
2. घातक रेंज और अचूक प्रहार: इस मिसाइल की मारक क्षमता 1000 से 2000 किलोमीटर तक है, जो मैक 7 की रफ्तार से उड़ान भरती है। यह दुश्मन के महत्वपूर्ण ठिकानों को 10 मीटर के दायरे में अचूक सटीकता से निशाना साध सकती है।
3. भविष्य की तकनीक: एमआईआरवी क्षमता सबसे महत्वपूर्ण, यह मिसाइल मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल टेक्नोलॉजी से लैस होने की क्षमता रखती है।
Intermediate Range Agni-Prime Missile was successfully tested on 24 Sep 2025 from a Rail based Mobile launcher. This will be a force multiplier to strategic forces, with a game changer road cum rail missile system pic.twitter.com/bEmDQoHNUf
— DRDO (@DRDO_India) September 25, 2025
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इसका अर्थ है कि एक ही मिसाइल अपने भीतर कई परमाणु या पारंपरिक वॉरहेड्स ले जाकर, एक साथ कई अलग-अलग लक्ष्यों को भेद सकती है। यह तकनीक भारत को उन चुनिंदा एलीट देशों के क्लब में शामिल करती है, जिसके कारण हमारी वैश्विक रैंक में उछाल आना तय है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जनरल एमएम नरवाने का कहना है कि यह सफलता चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों के खिलाफ रणनीतिक संतुलन बनाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, खासकर एलएसी पर जारी तनाव के बीच।
वैश्विक मिसाइल दौड़ में भारत कहां?
रैंक | देश | मुख्य मिसाइलें | न्यूक्लियर कैपेबल? |
1 | रूस | RS-28 Sarmat (18,000 किमी) | हां |
2 | अमेरिका | Minuteman III, Trident II (13,000 किमी) | हां |
3 | चीन | DF-41 (12,000 किमी) | हां |
4 | फ्रांस | M51 SLBM (10,000 किमी) | हां |
5 | ब्रिटेन | Trident II SLBM (12,000 किमी) | हां |
6 | इजरायल | Jericho III (6,500 किमी) | हां |
7 | भारत | अग्नि-5, अग्नि प्राइम (5,000-8,000 किमी) | हां |
8 | पाकिस्तान | शाहीन-III (2,750 किमी) | हां |
अग्नि प्राइम की इस उपलब्धि ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि वैश्विक मिसाइल शक्ति के मानचित्र पर भारत कहां खड़ा है।
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट और ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स (SIPRI) की 2025 की रिपोर्टों के अनुसार, भारत ने इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल ग्रुप के एलीट क्लब में अपना स्थान मजबूती से बनाया है। वर्तमान में, भारत सातवें स्थान पर है, लेकिन अग्नि-V की MIRV टेस्टिंग की सफलता के साथ, यह जल्द ही पांचवें स्थान तक पहुंच सकता है।
SIPRI की रिपोर्ट बताती है कि भारत के पास अब 180 न्यूक्लियर वॉरहेड्स हैं (पाकिस्तान के 170 से अधिक, पर चीन के 500+ से कम)। यह स्पष्ट करता है कि भारत की प्रगति प्रभावशाली है। जहां अमेरिका और रूस हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी पर केंद्रित हैं, वहीं भारत मोबाइल लॉन्चर्स के साथ अपनी रणनीतिक लचीलापन बढ़ा रहा है।
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केवल अग्नि प्राइम नहीं, भारत का विशाल रक्षा पोर्टफोलियो
भारत की मिसाइल शक्ति केवल अग्नि प्राइम तक सीमित नहीं है। हमारा रक्षा पोर्टफोलियो इसकी विविधता और मारक क्षमता के कारण वैश्विक स्तर पर सम्मान पाता है।
ब्रह्मोस: यह दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल है, जिसकी गति मैक 2.8 से 3.0 है। यह जमीन, समुद्र, हवा और पनडुब्बी, चारों प्लेटफॉर्म से दागी जा सकती है।
अग्नि-V (ISBM): 5,000 किमी से अधिक रेंज वाली यह मिसाइल, भारत को चीन और यूरोप के महत्वपूर्ण हिस्सों तक मार करने की क्षमता देती है।
K-सीरीज़ एसएलबीएम: पनडुब्बियों से लॉन्च की जाने वाली ये मिसाइलें (जैसे के-4), भारत की परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत के बेड़े को दूसरी स्ट्राइक की गारंटी देती हैं।
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अग्नि प्राइम का सफल रेल लॉन्च
हमारी 'नो फर्स्ट यूज़' न्यूक्लियर पॉलिसी को और मजबूती देता है, क्योंकि दूसरी स्ट्राइक की हमारी क्षमता अब अभेद्य हो गई है।
यह उपलब्धि देश के वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और सशस्त्र बलों के अथक प्रयासों का परिणाम है, जिसने भारत को वैश्विक शक्ति समीकरणों में एक मजबूत और निर्भीक खिलाड़ी बना दिया है। आज का यह परीक्षण एक सशक्त याद दिलाता है – शांति के लिए ताकत जरूरी है।
अब सवाल यह नहीं है कि भारत टॉप 10 में है या नहीं, बल्कि यह है कि भारत कब टॉप 5 में शामिल होगा। यह शुरुआत शानदार है और यह सिद्ध करती है कि 'आत्मनिर्भर भारत' का संकल्प अब उड़ान भरने के लिए तैयार है!
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