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नई दिल्ली, वीईबीएन नेटवर्क
सोमवार सुबह दिल्ली में आए भूकंप के झटके से राजधानी सहित पूरा एनसीआर का एरिया हिलने के साथ दहशत में आ गया।सुबह 5 बजकर 36 मिनट पर आए झटके की तीव्रता रिरिक्टर स्केल पर तीव्रता 4 नापी गई। कुछ सकेंडों के लिए अए भूकंप से न सिर्फ इमारते हिली बल्कि डर कर लोग घर से बाहर आ गए। ऐसी परिस्थिति में सवाल उठता है कि अगर भूकंप की तीव्रता 6 और 7 के बीच रहती तो मल्टीस्टोरी बिल्डिंग और जानमाल की क्या स्थिति होगी।
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भूकंप का केंद्र जमीन के अंदर केवल 5 किमी अंदर रहा
दिल्ली में भूकंप का केंद्र धौलाकुआं काका दुर्गाबाई देशमुख कॉलेज रहा। जमीन के अंदर इसका मंख्य केंद्र केवल 5 किमी भीतर रहा। भोर में आए भूकंप के समय लोग नींद में सो रहे थे। लेकिन अचानक आए भूकंप के कारण पेडों से पक्षी तेज आवाके साथ इधर उधर उडने लगे। यही नहीं झटके से जिन लोगों की नींद खुली वह घरों से बाहर निकल आए।
छोटे भूकंप कही बड़ी तबाही के संकेत तो नहीं
वैज्ञानिकों का मानना है कि दिल्ली एनसीआर में छोटे भूकंप आने वाले समय के लिए बडे खतरे का संकेत हो सकते है। इसलिए हमें इसके लिए तैयार रहने की जरूरत है। हिमालयीय क्षेत्र में आने के कारण दिल्ली एनसीआर को अधिक खतरा है। इसकी वजह यह है कि यहां मल्टी स्टोरी भवनों की संया अधिक है। जबकि अन्य क्षेत्रों की बजाय यहां घनी आबादी निवास करती है।
6 से 7 तीव्रता वाला भूकंप मचा सकता है भयंकर तबाही
दिल्ली एनसीआर हिमायल के 250 किमी रेंज के अंदर है। अगर हिमालयीय क्षेत्र में रिक्टर स्केल पर 7 तीव्रता वाला भूकंप आता है तो यह दिल्ली के खतराक संकेत हो सकती है। जानकारों के मुताबिक इससे इस इलाके में जान माल का भी नुकसान हो सकता है। वर्तमान में दिल्ली की करीब सवा दो करोड आबादी रहती है। शनिवार को आए भूकंप से माना जा सकता है कि आने वाले दिनों में 6 से अधिकतीव्रता वाला भूकंप आ सकता है।
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बिल्डरों का दावा गलत साबित कर सकता है अधिक तीव्रता का भूकंप
दिल्ली की सवा दो करोड़ आबादी का जनसंख्या घनत्व काफी सघन है। यहां प्रति वर्गकिमी में करीब 10 हजार लोग रहते है। बिल्डर ओर साकारी एजेंसियां भूकंपरोधी भवनों के बनाने का दावा करती है लेकिन भूगर्भ वैज्ञानिकों का कहना है कि साढे 6 और 7 के बीच तीव्रता वाला भूकंप झटके नहीं झेल पाएगा।
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