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Effects of 'La Nina': जनवरी-फरवरी में रिकॉर्ड सबसे अधिक गर्मी का हुआ अनुभव

जनवरी के महीने में सबसे अधिक तापमान की घटना ऐसे समय में हुई है जब पृथ्वी पर 2024 को सबसे गर्म वर्ष के रूप में अनुभव किया जा रहा है और यह पहला वर्ष होगा जब वैश्विक औसत तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस से भी अधिक दर्ज किया गया। 

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Mukesh Pandit
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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।

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 'ला नीना' के प्रभाव के बावजूद जनवरी और फरवरी माह के शुरुआती दिनों में रिकॉर्ड सबसे अधिक गर्मी का अनुभव किया गया। यूरोपी जलवायु एजेंसी के अनुसार 'ला नीना' जलवायु संबंधी घटना है जो आमतौर पर वैश्विक तापमान को ठंडा करता है। जनवरी के महीने में सबसे अधिक तापमान की घटना ऐसे समय में हुई है जब पृथ्वी पर 2024 को सबसे गर्म वर्ष के रूप में अनुभव किया जा रहा है और यह पहला वर्ष होगा जब वैश्विक औसत तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस से भी अधिक दर्ज किया गया। 

औसत तापमान 13.23 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया

यूरोपीय जलवायु सेवा कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (सी3एस) की गणना के अनुसार, जनवरी 2025 में औसत तापमान 13.23 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो पिछले साल सबसे गर्म जनवरी से 0.09 डिग्री अधिक और 1991-2020 के औसत से 0.79 डिग्री अधिक है। वैज्ञानिकों ने यह भी पाया कि जनवरी में पृथ्वी का तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.75 डिग्री सेल्सियस अधिक था।

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पिछले 19 महीनों में से 18 महीने वैश्विक तापमान 1.5 डिग्री के निशान से ऊपर रहा है। सी3एस की उप निदेशक सामंथा बर्गेस ने कहा, 'जनवरी 2025 एक और आश्चर्यजनक महीना है, जिसमें उष्णकटिबंधीय प्रशांत क्षेत्र में 'ला नीना' की स्थिति विकसित होने और वैश्विक तापमान पर उनके अस्थायी शीतलन प्रभाव के बावजूद पिछले दो वर्षों के दौरान रिकॉर्ड तापमान का दर्ज होना जारी रहा।' 

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'ला नीना' एक जलवायु संबंधी घटना 

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'ला नीना' एक जलवायु संबंधी घटना है, जिसमें मध्य प्रशांत महासागर का सतही जल सामान्य से अधिक ठंडा हो जाता है, जिससे विश्वभर का मौसम प्रभावित होता है। इसके प्रभाव से आमतौर पर भारत में मजबूत मानसून और भारी वर्षा होती है जबकि अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों में यह मौसमी घटना सूखे का कारण बनती है। यह वैश्विक तापमान को थोड़ा ठंडा भी करती है, जबकि इसके विपरीत 'अल नीनो' की घटना मौसम को गर्म करती है। कॉपरनिकस के वैज्ञानिकों ने यह भी बताया कि पिछले 12 महीने की अवधि (फरवरी 2024 - जनवरी 2025) पूर्व-औद्योगिक समय की तुलना में 1.61 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म थी।

इस बीच, दुनिया के कई हिस्सों में समुद्र की सतह का तापमान (एसएसटी) असामान्य रूप से अधिक रहा। जनवरी के लिए औसत एसएसटी (60 डिग्री दक्षिण और 60 डिग्री उत्तर के बीच) 20.78 डिग्री सेल्सियस था, जो इसे रिकॉर्ड दूसरा सबसे गर्म जनवरी बनाता है। जनवरी में विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने 2024 को अब तक का सबसे गर्म वर्ष घोषित किया था।

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दिल्ली में न्यूनतम तापमान 9.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज

राष्ट्रीय राजधानी में न्यूनतम तापमान 9.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो इस मौसम में औसत तापमान से 1.2 डिग्री कम है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने यह जानकारी दी। दिल्ली में सुबह 8:30 बजे आर्द्रता स्तर 92 प्रतिशत दर्ज किया गया। आईएमडी के अनुसार, दिनभर हवाएं तेज चलने की संभावना है। अधिकतम तापमान करीब 25 डिग्री सेल्सियस रहने का अनुमान है।

 केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, सुबह 9 बजे दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 180 दर्ज किया गया। एक्यूआई शून्य से 50 के बीच 'अच्छा', 51 से 100 'संतोषजनक', 101 से 200 'मध्यम', 201 से 300 'खराब', 301 से 400 'बहुत खराब' और 401 से 500 के बीच 'गंभीर' श्रेणी में माना जाता है।

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