/young-bharat-news/media/media_files/2025/08/19/election-commision-delhi-2025-08-19-21-42-39.jpg)
नई दिल्ली,आईएएनएस। वोट चोरी के आरोपों से घिरे मख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार एवं चुनाव आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधू व डॉ. विवेक जोशी ने मंगलवार को निर्वाचन सदन में बीजू जनता दल (बीजद) के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। बीजद प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और अधिकृत प्रतिनिधि देबिप्रसाद मिश्रा ने किया। चुनाव आयोग ने उनके द्वारा दिए गए सुझावों व शिकायतों को ध्यानपूर्वक सुना और नोट किया। उधर, बीजेडी के वरिष्ठ नेता अमर पटनायक ने चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग उतना पारदर्शी नहीं है, जितना एक संवैधानिक संस्था को होना चाहिए। इस गिरती साख बचाने के प्रयास के तौर पर भी देखा जा रहा है।
राजनीतिक दलों से नियमित बैठकों की कड़ी बताया
यह बैठक चुनाव आयोग द्वारा देश के विभिन्न राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों के अध्यक्षों से की जा रही नियमित बैठकों की एक कड़ी है। इस तरह की बातचीत का मकसद चुनाव प्रक्रिया को मजबूत बनाना और राजनीतिक दलों की राय और सुझावों को सीधे सुनना है। चुनाव आयोग का मानना है कि इस प्रकार की रचनात्मक चर्चा से चुनाव व्यवस्था को पारदर्शी और प्रभावी बनाया जा सकता है। यह पहल आयोग के उस विजन का हिस्सा है, जिसमें सभी संबंधित पक्षों को साथ लेकर चुनाव प्रक्रिया को और मजबूत किया जा सके।
डेढ़ सौ दिनों कुल 4,719 सर्वदलीय बैठकें आयोजित
पिछले 150 दिनों में देशभर में कुल 4,719 सर्वदलीय बैठकें आयोजित की गई हैं। इनमें 40 बैठकें मुख्य निर्वाचन अधिकारियों द्वारा, 800 बैठकें जिला निर्वाचन अधिकारियों द्वारा और 3,879 बैठकें निर्वाचक नामावली पंजीकरण अधिकारियों द्वारा की गई हैं।इन बैठकों में 28,000 से ज्यादा राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि शामिल हुए। इन सभी बैठकों का मकसद यह रहा कि सभी दलों की राय और सुझावों को ध्यान में रखते हुए चुनाव प्रक्रिया को बेहतर बनाया जा सके।चुनाव आयोग ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल के जरिए पोस्ट कर लिखा, "सीईसी ज्ञानेश कुमार और ईसी डॉ. सुखबीर सिंह संधू और डॉ. विवेक जोशी ने निर्वाचन सदन, दिल्ली में प्राधिकरण प्रतिनिधि देबिप्रसाद मिश्रा के नेतृत्व में बीजू जनता दल के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत की और उनके सुझाव प्राप्त किए।"
बीजेडी नेता ने चुनाव आयोग की पारदर्शिता पर उठाए सवाल
अमर पटनायक ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं और ऐसा प्रतीत होता है कि वह हर बार कुछ न कुछ छिपाने की कोशिश करता है।उन्होंने कहा कि आठ महीने पहले बीजेडी द्वारा उठाए गए मुद्दों का अभी तक संतोषजनक जवाब नहीं मिला है, जिससे आयोग की नीयत पर संदेह और गहरा होता है। अमर पटनायक ने विशेष रूप से ओडिशा में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि अगर बिहार की तरह ओडिशा में भी जल्दबाजी में असली मतदाताओं को सूची से बाहर किया गया, तो इसका पूरे राज्य में व्यापक विरोध होगा। चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी वास्तविक मतदाता अपने मताधिकार से वंचित न हो।
कई महत्वपूर्ण सवाल रखे थे, कोई जवाब नहीं मिला
उन्होंने आगे कहा कि बीजेडी ने चुनाव आयोग के सामने कई महत्वपूर्ण सवाल रखे थे, जिनका जवाब अब तक नहीं मिला है। हमने पूछा था कि कहां वोट डाले गए और कहां उनकी गिनती हुई, लेकिन चुनाव आयोग इस पर कोई ठोस जवाब देने में विफल रहा है।उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि मतदान के दिन शाम 5 बजे के बाद मतदान प्रतिशत में असामान्य वृद्धि देखी गई थी, जिस पर बीजेडी ने पहले ही दस्तावेजों के साथ अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी।
उन्होंने कहा, “चुनाव आयोग का दृष्टिकोण मौजूदा समय में पक्षपातपूर्ण नजर आ रहा है। वे मानते हैं कि जो कुछ भी वे करते हैं, वह सही है। चुनाव आयोग हमेशा कहता है कि आपको अदालत जाना होगा। चुनाव आयोग की व्यवस्था अपारदर्शी नहीं बल्कि पारदर्शी होनी चाहिए।”
उन्होंने कहा कि ओडिशा के मुख्यमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र में मतदान प्रतिशत में 30 प्रतिशत का अंतर देखा गया, जो संदेहास्पद है। चुनाव आयोग को अपनी प्रक्रियाओं को और अधिक पारदर्शी बनाना होगा, ताकि लोकतंत्र में लोगों का भरोसा बना रहे। उसे यह समझना चाहिए कि वह एक संवैधानिक निकाय है और आम जनता और मतदाताओं के प्रति जवाबदेह है। अगर आयोग अपनी कार्यशैली में सुधार नहीं करता तो यह चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता को और कमजोर करेगा। 2024 elections media | 2027 elections | amit shah up elections | 2025 assembly elections | 2025 Elections