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नई दिल्ली, वाईबीएन : इंडिया गठबंधन ने उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में अपना प्रत्याशी उतारकर मुकाबले को रोचक और रोमांचक बना दिया है। गठबंधन ने उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी को नामित किया है। बी सुदर्शन मंगलवार शाम को दिल्ली पहुंचे तो उनका भावपूर्ण ढंग से स्वाग किया गया। उन्होंने कहा, "मैं बहुत-बहुत खुश हूं। धन्यवाद।" उधर, भाजपा के आईटी सेल के मुखिया अमित मालवीय ने सोशल मीडिय़ा प्लेटफार्म पर लंबा चौड़ा लेख लिखकर पूर्व जस्टिस बी सुदर्शन पर नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई को कमजोर करने का गंभीर आरोप लगाया है। इससे नया सियासी बवाल खड़ा हो गया है।
स्वागत से गदगद नजर आए सुदर्शन
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी शाम को नई दिल्ली पहुंचे, जहां कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के नेताओं ने उनका भव्य स्वागत किया। अपने स्वागत से गदगद सुदर्शन रेड्डी ने कहा, "मैं बहुत-बहुत खुश हूं। धन्यवाद।" कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा, "INDIA गठबंधन ने ऐसे व्यक्ति को अपना उम्मीदवार बनाया है जो भारत के संविधान को समझता है और जिसने न्यायपालिका के माध्यम से देश की सेवा की है..."
गहलोत के स्वर बदले-बदले नजर आए
राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने उपराष्ट्रपति चुनाव पर प्रतिक्रिया दी. जब उनसे सवाल किया गया कि संख्याबल विपक्ष के फेवर में नहीं है फिर भी विपक्ष ने अपना उम्मीदवार क्यों दिया, इस पर उन्होंने कहा कि देश में माहौल बन गया कि सत्तापक्ष विपक्ष को कुछ समझता ही नहीं है। जो सम्मान विपक्ष और विपक्ष के नेता को राज्यसभा और लोकसभा में देना चाहिए, जो व्यवहार उनके साथ किया गया, वो लोकतंत्र के हित में नहीं है। इसलिए ये फैसला होना ही था।
अमित मालवीय का गंभीर आरोप
भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय़ ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लेख लिखा है, जिसमें कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी, जिन्हें अब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस गठबंधन द्वारा उपराष्ट्रपति पद के लिए नामित किया जा रहा है, को उस फैसले के लिए याद किया जाता है जिसने नक्सलवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई को कमजोर किया।
उन्होंने लिखा-5 जुलाई 2011 को, न्यायमूर्ति रेड्डी ने सलवा जुडूम मामले में फैसला सुनाया, जिसमें छत्तीसगढ़ सरकार की माओवादी विद्रोहियों से लड़ने के लिए आदिवासी युवाओं को हथियारबंद करने की नीति को रद्द कर दिया गया। यह फैसला दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर नंदिनी सुंदर की याचिका पर आया, जिन पर लंबे समय से नक्सली समूहों से निकटता का आरोप है और बस्तर में एक हत्या की एफआईआर में भी उनका नाम था (जिसे बाद में हटा दिया गया)। वह द वायर के वामपंथी संपादक सिद्धार्थ वरदराजन की पत्नी भी हैं।
उग्रवाद-विरोधी रणनीति के लिए एक झटका था
इस प्रकार, इस फैसले को न केवल राज्य सरकार की उग्रवाद-विरोधी रणनीति के लिए एक झटका माना गया, बल्कि माओवादी आंदोलन से जुड़े लोगों के प्रति न्यायिक सहानुभूति के उदाहरण के रूप में भी देखा गया। ऐसे समय में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार नक्सलवाद को जड़ से उखाड़ फेंकने का आह्वान कर रहे हैं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) गठबंधन ने एक ऐसे उम्मीदवार को खड़ा किया है जिसकी विरासत पर उग्रवाद को बढ़ावा देने वालों का साथ देने का कलंक है।
मालवीय ने लिखा, यह मुकाबला सिर्फ़ एक संवैधानिक पद को भरने का नहीं है। यह इस बारे में है कि क्या भारत के सर्वोच्च पद हिंसक उग्रवाद के विरुद्ध राष्ट्रीय संकल्प की भावना को प्रतिबिम्बित करेंगे, या अतीत के वैचारिक समझौतों की ओर लौट जाएँगे। चुनाव स्पष्ट है। यह राष्ट्रीय कर्तव्य और उन लोगों के बीच एक वैचारिक युद्ध है, जिन्होंने अपने शब्दों और कर्मों से भारत के दुश्मनों के प्रति सहानुभूति दिखाई है। ustice Sudarshan Reddy | Alliance VP candidate | BJP attack on VP candidate | Naxalism issue India Justice Sudarshan Reddy