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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: भारत के विदेश मंत्री डॉ.एस. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आतंकवाद के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करते हुए दुनिया से एकजुट होकर आतंकवाद का मुकाबला करने की अपील की। उन्होंने स्पष्ट कहा कि आतंकियों को न तो बख्शा जाना चाहिए न ही किसी भी रूप में इस्तेमाल या समर्थन दिया जाना चाहिए।
आतंकवाद दुनिया के लिए है खतरा
जयशंकर ने अप्रैल 2022 में हुएपहलगाम आतंकी हमले का हवाला देते हुए भारत की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति को दोहराया और बताया कि भारत ने हमले के दो सप्ताह बाद ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ढांचे को निशाना बनाकर जवाब दिया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद किसी एक देश की समस्या नहीं है, यह वैश्विक शांति और मानवता के लिए खतरा है। दुनिया को इसकी भयावहता को समझते हुए संगठित होकर जवाब देना होगा।
आतंकवाद के मानवीय नुकसान पर प्रदर्शनी का उद्घाटन
जयशंकर ने अपने तीन दिवसीय अमेरिका दौरे के तहत संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आयोजित 'आतंकवाद का मानवीय नुकसान' विषयक एक विशेष प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। यह प्रदर्शनी 30 जून से 3 जुलाई और 7 से 11 जुलाई तक संयुक्त राष्ट्र में प्रदर्शित की जा रही है। इस प्रदर्शनी में 1993 के मुंबई बम धमाके, 2008 के मुंबई आतंकी हमले और पहलगाम आतंकी हमले जैसे भारत के महत्वपूर्ण आतंकी घटनाओं को प्रदर्शित किया गया है। साथ ही पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठनों और उनके सरगनाओं को भी चिन्हित किया गया है। जयशंकर ने कहा कि यह प्रदर्शनी उन हजारों निर्दोष लोगों की आवाज है जिन्हें आतंकवाद ने हमसे छीन लिया। हर तस्वीर, हर शब्द उन ज़िंदगियों की दास्तान बयां करता है जो हिंसा की भेंट चढ़ गईं। यह श्रद्धांजलि है और साथ ही एक चेतावनी भी कि आतंकवाद को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
आतंकवाद को मिल रहे 'पॉक्सी' समर्थन पर चिंता
विदेश मंत्री ने उन देशों की ओर इशारा किया जो आतंकी संगठनों को अपनी रणनीतिक नीति के तौर पर ‘पॉक्सी’ की तरह इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रवृत्ति को स्पष्ट रूप से उजागर कर वैश्विक स्तर पर चुनौती देना होगा। जयशंकर ने यह भी कहा कि दुनिया को "परमाणु ब्लैकमेल" जैसी रणनीतियों से भी सतर्क रहना चाहिए और इनके आगे झुकना नहीं चाहिए। विदेश मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र के मंच से स्पष्ट कहा कि आतंकवाद न सिर्फ लोगों की जान लेता है, बल्कि यह मानवाधिकारों, कानून व्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय रिश्तों को भी नुकसान पहुंचाता है। जब कोई देश अपने पड़ोसी के खिलाफ आतंकवाद को हथियार बनाता है, या कट्टरता इसे बढ़ावा देती है, तो उसे पूरी दुनिया के सामने लाना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी बन जाती है। s jaishankar