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GST Reforms: जीओएम ने दो-स्लैब जीएसटी को दी मंजूरी, अंतिम निर्णय सितंबर में होगा

जीएसटी में सुधार की दिशा में बड़ा कदम, जीओएम ने दो टैक्स स्लैब (5% और 18%) के प्रस्ताव को दी मंजूरी। अंतिम निर्णय सितंबर में परिषद की बैठक में होगा।

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Dhiraj Dhillon
GOM Meeting
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नई दिल्ली, आईएएनएस। वस्तु एंव सेवा कर (जीएसटी) को तर्कसंगत बनाने को लेकर हुई राज्यों के ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (जीओएम) की बैठक में गुरुवार को केंद्र सरकार के टैक्स स्लैब की संख्या घटाने के प्रस्ताव को स्वीकार लिया गया है। बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के नेतृत्व वाली जीओएम के सामने यह प्रस्ताव पेश किया गया है। इसका उद्देश्य जीएसटी में मौजूदा टैक्स स्लैब (5 प्रतिशत,12 प्रतिशत,18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत) की संख्या को घटाकर दो (5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत) करना है। 

पांच और 18 प्रतिशत वाले दो स्लैब होंगे 

नए जीएसटी स्ट्रक्चर में दो दरें- मेरिट और स्टैंडर्ड होंगी। मेरिट में शामिल वस्तुओं और सेवाओं पर 5 प्रतिशत का टैक्स लगेगा। वहीं, स्टैंडर्ड में शामिल वस्तुओं और सेवाओं पर 18 प्रतिशत का टैक्स लगेगा। इसके अलावा, सिन गुड्स पर 40 प्रतिशत टैक्स का भी प्रावधान है। इसमें तंबाकू, सॉफ्ट ड्रिंक्स, फास्ट फूड और अन्य प्रकार के टैक्स शामिल है। सिन टैक्स एक स्पेशल टैक्स है जो सरकार ऐसी वस्तुओं पर लगाती है। इसका उद्देश्य लोगों को इनके उपयोग से हतोत्साहित करना और इनसे होने वाले नुकसान को कम करना है। 

वित्त मंत्री बोलीं- सरलीकृत प्रणाली से मध्य वर्ग को लाभ होगा 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इससे पहले दो दिवसीय मंत्रिसमूह की बैठक को संबोधित करते हुए कहा था कि एक सरलीकृत प्रणाली से आम आदमी, किसानों, मध्यम वर्ग और छोटे व्यवसायों को लाभ होगा, साथ ही जीएसटी को और अधिक पारदर्शी और विकास केंद्रित भी बनाया जा सकेगा। इन बदलावों के तहत, वर्तमान में 12 प्रतिशत टैक्स स्लैब में आने वाली लगभग सभी वस्तुएं 5 प्रतिशत टैक्स स्लैब में आ जाएंगी। इसी तरह, 28 प्रतिशत टैक्स स्लैब वाली अधिकांश वस्तुएं 18 प्रतिशत टैक्स स्लैब में आ जाएंगी, जिससे केंद्र का मानना ​​है कि अनुपालन में सुधार होगा और जटिलता कम होगी। 

बीमा प्रीमियम पर भी जीएसटी छूट पर भी विचार 

जीओएम ने व्यक्तिगत स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम पर जीएसटी छूट देने के केंद्र के सुझाव की भी समीक्षा की। अधिकांश राज्यों ने इस सुझाव का समर्थन किया, वहीं उन्होंने बीमा कंपनियों द्वारा ग्राहकों को वास्तव में लाभ पहुंचाने के लिए सख्त निगरानी की आवश्यकता पर जोर दिया। इस छूट से वार्षिक राजस्व में लगभग 9,700 करोड़ रुपए का नुकसान होने का अनुमान है। सिफारिशों पर अंतिम निर्णय जीएसटी परिषद द्वारा सितंबर में होने वाली अपनी अगली बैठक में लिया जाएगा। 

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