Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने 2023 के नए कानून के तहत मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) और चुनाव आयुक्तों (ईसी) की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई अब 19 फरवरी को होगी।अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि इस बीच अगर कोई घटनाक्रम होता है तो उसके परिणामों का सामना करना होगा। इस मामले को लेकर चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर बहस छिड़ी हुई है।
चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया में किया गया बदलाव
2023 में केंद्र सरकार द्वारा एक नया कानून लागू किया गया था, जिसके तहत मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया में बदलाव किया गया। इससे पहले तक नियुक्ति की प्रक्रिया में प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और मुख्य न्यायाधीश की एक समिति की अहम भूमिका थी, लेकिन नए कानून के तहत यह जिम्मेदारी प्रधानमंत्री, कानून मंत्री और एक कैबिनेट मंत्री की समिति को सौंप दी गई। इस बदलाव का विरोध करते हुए कई याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनमें आरोप लगाया गया है कि यह कानून चुनाव आयोग की स्वायत्तता को प्रभावित कर सकता है और सरकार को अधिक शक्ति प्रदान करता है।
याचिकाकर्ताओं की दलील
गैर-सरकारी संगठन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ को बताया कि पहले यह सुनवाई बुधवार को होनी थी, लेकिन अब इसे 19 फरवरी के लिए सूचीबद्ध कर दिया गया है। इस मामले पर जल्द सुनवाई जरूरी है, क्योंकि वर्तमान मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार 18 फरवरी को सेवानिवृत्त होने वाले हैं। यदि सरकार इस बीच नए कानून के तहत सीईसी की नियुक्ति कर देती है तो चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर सवाल उठ सकते हैं। उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि इस मुद्दे को तुरंत सुना जाए ताकि किसी भी संभावित विवाद को रोका जा सके।
विपक्ष ने अदालत से सख्त रुख अपनाने को कहा
सुप्रीम कोर्ट न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि अब यह मामला 19 फरवरी को सुना जाएगा। अदालत ने संकेत दिया कि यदि इस बीच सरकार कोई नियुक्ति करती है तो उसे कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। पीठ ने कहा कि हम 19 फरवरी को इस मामले पर सुनवाई करेंगे। इस मामले को लेकर विपक्षी दलों ने भी सरकार पर निशाना साधा है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि चुनाव आयोग को स्वतंत्र और निष्पक्ष रहना चाहिए, लेकिन सरकार उसे अपने नियंत्रण में लेने की कोशिश कर रही है। विपक्षी दलों ने इस कानून को लोकतंत्र के लिए खतरा बताया है और अदालत से अपील की है कि इस पर सख्त रुख अपनाए।