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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क। पश्चिमी विक्षोभों की लगातार आवाजाही ने हिमालयी राज्यों में भारी बारिश और बाढ़ जैसी चरम मौसमी घटनाओं को जन्म दिया है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि यह बदलाव वैश्विक जलवायु परिवर्तन से जुड़ा हुआ है।पिछले सप्ताह जम्मू-कश्मीर के कई हिस्सों में अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन ने कहर ढाया, जबकि इस महीने की शुरुआत में हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भी भारी बारिश के चलते बाढ़ और भूस्खलन की घटनाएं सामने आईं।हालांकि, इन पश्चिमी विक्षोभों ने उत्तर-पश्चिमी मैदानी इलाकों में लंबे समय तक चलने वाली लू की स्थिति पर प्रभावी नियंत्रण भी रखा है।
पश्चिमी विक्षोभों ने लू की मार से बचाया
स्काइमेट वेदर के मौसम एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के उपाध्यक्ष महेश पलावत के अनुसार, "पश्चिमी विक्षोभों की अधिक आवृत्ति के चलते गर्म और शुष्क उत्तर-पश्चिमी हवाओं का प्रभाव कम हुआ है। इनकी जगह ठंडी और नम पूरब की हवाओं ने ली है, जिससे तापमान में गिरावट आई है।"पलावत ने यह भी बताया कि मध्य और पश्चिम भारत में भी लू की स्थिति गंभीर नहीं हो सकी है, क्योंकि हवाओं का पैटर्न लगातार बदल रहा है।
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जलवायु परिवर्तन से जुड़ा खतरा
भारतीय मौसम विभाग के पूर्व महानिदेशक डॉ. केजे रमेश का कहना है कि जनवरी तक पश्चिमी विक्षोभ कम सक्रिय थे, लेकिन फरवरी से इनकी आवृत्ति बढ़ी है। "अब ये विक्षोभ लगातार जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड में असर डाल रहे हैं। इससे वहां असामान्य रूप से अधिक वर्षा हो रही है, जो सीधे तौर पर जलवायु परिवर्तन से जुड़ा हुआ है।"
उत्तर भारत और पाकिस्तान पर होता है असर
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पश्चिमी विक्षोभ मुख्य रूप से उत्तर भारत और पाकिस्तान को सर्दियों में प्रभावित करते हैं। ये उपोष्ण वायुतरंग जेट स्ट्रीम से जुड़े होते हैं और सर्दियों में निम्न अक्षांशों पर सक्रिय रहते हैं, जिससे उत्तर भारत में वर्षा और हिमपात होता है। गर्मियों में ये विक्षोभ ऊंचे अक्षांशों की ओर चले जाते हैं, जिससे बारिश और बर्फबारी केवल ऊपरी इलाकों तक सीमित हो जाती है।
अरब सागर से बढ़ी नमी, चरम घटनाओं में वृद्धि
डॉ. रमेश के अनुसार, वैश्विक तापमान में वृद्धि के चलते अरब सागर तेजी से गर्म हो रहा है, जिससे अधिक मात्रा में नमी वातावरण में पहुंच रही है। "जब पश्चिमी विक्षोभ अरब सागर तक पहुंचते हैं, तो वहां से मिलने वाली अतिरिक्त नमी के चलते पर्वतीय क्षेत्रों में अधिक तीव्र मौसमी गतिविधियां होती हैं।"उन्होंने यह भी बताया कि इस वर्ष "स्नो वॉटर इक्विवेलेंट" यानी हिम जल समतुल्यता में असामान्य वृद्धि देखी गई है, जो असामान्य हिमपात की ओर इशारा करता है।
भविष्य में और अनिश्चित होंगे पश्चिमी विक्षोभ
वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि जलवायु परिवर्तन के चलते पश्चिमी विक्षोभों का व्यवहार और अधिक अनिश्चित हो जाएगा। "अब ये विक्षोभ उत्तर और दक्षिण दोनों सीमाओं तक जा सकते हैं, पहले ये इतनी ऊंचाई तक नहीं पहुंचते थे। डॉ रमेश ने कहा- अब ये कराकोरम तक पहुंच रहे हैं और वहां भी भारी हिमपात करा रहे हैं," डॉ. रमेश ने कहा।
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