/young-bharat-news/media/media_files/2025/11/07/india-21-2025-11-07-11-58-54.png)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: भारत ने बांग्लादेश से लगती अपनी संवेदनशील और विस्तृत सीमा की सुरक्षा को और मज़बूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। शुक्रवार को भारत ने तीन नई सैन्य छावनियों (गैरीसन) का उद्घाटन किया, जो अब पूरी तरह से ऑपरेशनल हो चुकी हैं। ये छावनियां असम के धुबरी के पास बामुनी, बिहार के किशनगंज, और पश्चिम बंगाल के चोपड़ा में स्थापित की गई हैं। भारतीय सेना और सीमा सुरक्षा बल (BSF) के लिए ये नई छावनियां एक “फोर्स मल्टीप्लायर” यानी शक्ति-वृद्धि के रूप में देखी जा रही हैं।
कॉरिडोर मात्र 22 किलोमीटर चौड़ा
इन छावनियों का उद्देश्य 4,096 किलोमीटर लंबी भारत-बांग्लादेश सीमा पर मौजूद रणनीतिक कमजोरियों को दूर करना और किसी भी संभावित घुसपैठ या आपात स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया देने की क्षमता बढ़ाना है। भू-राजनीतिक दृष्टि से भी यह कदम बेहद अहम माना जा रहा है। उत्तर बंगाल में स्थित सिलीगुड़ी कॉरिडोर, जिसे सामरिक हलकों में “चिकन नेक” कहा जाता है, भारत की मुख्य भूमि को उसके आठ पूर्वोत्तर राज्यों से जोड़ने वाली एकमात्र जमीनी कड़ी है। यह कॉरिडोर मात्र 22 किलोमीटर चौड़ा है, और यदि कभी यह क्षेत्र शत्रु के निशाने पर आया, तो भारत के 4.5 करोड़ से अधिक नागरिकों वाले पूर्वोत्तर क्षेत्र की सुरक्षा पर गंभीर खतरा मंडरा सकता है। इसलिए नई छावनियों का निर्माण न केवल रक्षा दृष्टि से बल्कि भारत के सैन्य लॉजिस्टिक और आर्थिक संपर्क को सुरक्षित रखने के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। रक्षा सूत्रों के मुताबिक, इन छावनियों के साथ-साथ सीमा पर आधुनिक उपकरणों, सड़क नेटवर्क और निगरानी प्रणालियों की तैनाती भी बढ़ाई गई है। यह सब भारत की बॉर्डर मॉडर्नाइजेशन ड्राइव का हिस्सा है। एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने बताया कि ये नई छावनियां भारतीय सेना की तैनाती क्षमता को और मज़बूत करेंगी तथा किसी भी बाहरी गतिविधि या घुसपैठ पर तुरंत कार्रवाई संभव बनाएंगी।
भारत अपने पूर्वी मोर्चे पर भी तैयार
इस कदम का समय भी रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। कुछ सप्ताह पहले ही बांग्लादेश के अंतरिम मुख्य सलाहकार प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस ने पाकिस्तान के शीर्ष सैन्य अधिकारियों से मुलाकात की थी। ढाका में हुई इस बैठक में पाकिस्तान के ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष जनरल साहिर शामशाद मिर्जा भी मौजूद थे, जहां दोनों पक्षों ने क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और द्विपक्षीय सहयोग पर चर्चा की। भारतीय सुरक्षा एजेंसियां इस मुलाकात को सामान्य औपचारिकता से अधिक संवेदनशील नजरिए से देख रही हैं, क्योंकि आने वाले दिनों में ढाका और रावलपिंडी के बीच संवाद बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। भारत द्वारा सीमा पर नए गढ़ों का निर्माण न केवल सुरक्षा सुदृढ़ीकरण के रूप में बल्कि एक स्पष्ट राजनीतिक संदेश के रूप में भी देखा जा रहा है कि भारत अपने पूर्वी मोर्चे पर किसी भी भू-राजनीतिक अस्थिरता या पड़ोसी देशों के बदलते समीकरणों के प्रति पूरी तरह सतर्क और तैयार है।
/young-bharat-news/media/agency_attachments/2024/12/20/2024-12-20t064021612z-ybn-logo-young-bharat.jpeg)
Follow Us