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2028 तक गुजरात में दौड़ेगी भारत की पहली Bullet Train, 2030 तक पूरा रूट होगा तैयार

भारत की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना 2028 तक गुजरात के साबरमती से वापी के बीच शुरू हो सकती है। 2030 तक मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल पूरे रूट पर दौड़ने लगेगी।

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Dhiraj Dhillon
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Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। Bullet Train News: भारत की महत्वाकांक्षी बुलेट ट्रेन परियोजना से जुड़ी एक बड़ी जानकारी सामने आई है। मुंबई से अहमदाबाद के बीच बन रहे 508 किलोमीटर लंबे हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर पर काम तेज़ी से चल रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस परियोजना के तहत 2028 तक गुजरात में साबरमती से वापी के बीच बुलेट ट्रेन की शुरुआत होगी, जबकि पूरे मार्ग पर ट्रेन 2030 तक दौड़ने लगेगी। परियोजना को नेशनल हाई-स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) द्वारा संचालित किया जा रहा है।

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यात्रियों के रुझान का सर्वे कराएगा NHSRCL

परियोजना से पहले राइडरशिप सर्वे कराया जाएगा, जिसमें यात्रियों की संख्या, किराया निर्धारण और ट्रैफिक के आंकलन जैसे पहलुओं को शामिल किया जाएगा। सर्वे यह पता लगाएगा कि मौजूदा परिवहन विकल्प जैसे- कार, टैक्सी, बस, एसी ट्रेन या हवाई यात्रा की तुलना में कितने यात्री हाई-स्पीड रेल को चुनते हैं। यह सर्वे विशेष रूप से राष्ट्रीय राजमार्गों और एक्सप्रेसवे के पास किया जाएगा।
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Bullet Train
Photograph: (Google)
 

बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के बारे में जानिए

508 किलोमीटर की इस रेल लाइन में 348 किमी गुजरात और 156 किमी महाराष्ट्र में होगी। गुजरात में वापी, बिलीमोरा, सूरत, भरूच, वडोदरा, आनंद, अहमदाबाद और साबरमती जैसे स्टेशन बन रहे हैं। महाराष्ट्र में मुंबई (BKC), ठाणे, विरार और बोईसर स्टेशन शामिल हैं। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, अब तक 300 किमी वायाडक्ट, 383 किमी पियर वर्क, 401 किमी फाउंडेशन और 326 किमी गर्डर कास्टिंग का कार्य पूरा हो चुका है। मुंबई के BKC स्टेशन पर 76 प्रतिशत खुदाई कार्य भी पूरा किया जा चुका है। महाराष्ट्र में भूमि अधिग्रहण को लेकर पुरानी महा विकास आघाड़ी सरकार के समय परियोजना में लगभग तीन साल की देरी हुई थी, जबकि गुजरात में कार्य काफी तेज़ी से हुआ है।
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प्रोजेक्ट भारत को दिलाएगा वैश्विक पहचान

यह हाई-स्पीड रेल परियोजना पूरी होते ही भारत उन 15 देशों की सूची में शामिल हो जाएगा जहां बुलेट ट्रेन प्रणाली मौजूद है। इससे न केवल यात्रा समय में भारी कटौती होगी, बल्कि प्रदूषण, सड़क हादसे और तेल आयात पर निर्भरता में भी गिरावट आएगी। साथ ही रोजगार और आर्थिक गतिविधियों में बड़ा इजाफा देखने को मिलेगा।
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