नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। भारत की रक्षा क्षमताओं को नई उड़ान देने जा रहा ‘कावेरी इंजन’अब स्काई ट्रायल के लिए तैयार है। यह स्वदेशी इंजन अब परीक्षण की अंतिम कसौटी पर है। कावेरी इंजन को स्काई ट्रायल के लिए मंजूरी मिल गई है। रूस में भारत के कावेरी जेट इंजन का परीक्षण किया जा रहा है, जहां DRDO (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) की टीम इसकी परफॉर्मेंस का आकलन कर रही है।
रक्षा क्षेत्र के लिए गेमचेंजर साबित होगा
कावेरी इंजन विशेष रूप से लंबी दूरी तक उड़ान भरने वाले मानव रहित लड़ाकू हवाई वाहनों (UCAV) के लिए डिजाइन किया गया है। यदि परीक्षण सफल रहता है, तो यह भारत के ड्रोन प्रोग्राम और संपूर्ण रक्षा विनिर्माण क्षेत्र के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है।
कावेरी इंजन की विशेषता
- कावेरी इंजन वर्तमान में 73 kN थ्रस्ट जेनरेट करता है, जिसे भविष्य में 78 kN तक बढ़ाने का लक्ष्य है।
- यह इंजन न केवल 'तेजस' जैसे हल्के लड़ाकू विमानों के लिए उपयुक्त है, बल्कि UCAV, ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट और सिविल एविएशन में भी उपयोगी सिद्ध हो सकता है।
- 1180 किलोग्राम वजनी यह इंजन हाई-एल्टीट्यूड और हाई-स्पीड उड़ानों के लिए आदर्श है।
- कावेरी में हाई-प्रेशर कंप्रेसर, कम्बशन चेंबर और उन्नत टरबाइन जैसी जटिल तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है।
कावेरी इंजन प्रोजेक्ट
गौरतलब है कि कावेरी इंजन प्रोजेक्ट की नींव 1989 में रखी गई थी, जब भारत ने हल्के लड़ाकू विमान 'तेजस' के लिए खुद का टर्बोफैन इंजन विकसित करने का सपना देखा। यह प्रोजेक्ट अत्यंत जटिल था। एयरोडायनामिक्स, धातु विज्ञान, ताप प्रबंधन, और सीमित संसाधनों के चलते इसे समय पर पूरा नहीं किया जा सका। लेकिन ‘मेक इन इंडिया’ और आत्मनिर्भर भारत जैसे अभियानों के चलते इस प्रोजेक्ट ने नई ऊर्जा पाई है। अब यह इंजन अपने पहले अंतरराष्ट्रीय स्काई ट्रायल की ओर बढ़ रहा है। अगर कावेरी इंजन का परीक्षण सफल हो जाता है, तो यह भविष्य में राफेल जैसे विमानों के लिए भी एक स्वदेशी विकल्प बन सकता है।
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