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Pahalgam Terror Attack में लश्कर -ए- तैयबा का हाथ... NIA का बड़ा खुलासा

पहलगाम आतंकी हमले की जांच में जुटी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनएआई)  ने कई बड़े खुलासे किए हैं। जांच में ये बात भी सामने आ रही है कि हमले को अंजाम देने वाले आतंकी 15 अप्रैल को ही पहलगाम पहुंच गए थे।

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Jyoti Yadav
राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं के बीच हाईकोर्ट ने दी सलाम को सीमित पैरोल, NIA ने जताई आपत्ति
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जम्मू-कश्मीर, वाईबीएन नेटवर्क | पहलगाम आतंकी हमले की जांच में जुटी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनएआई)  ने एक बड़ा खुलासा किया है। सूत्रों के मुताबिक, इस एनआईए की जांच में ऐसे खुलासे और सबूत मिले जो इशारा करते हैं कि इस हमले के पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और आतंकी संगठन लश्कर -ए- तैयबा का हाथ है। जांच में ये भी बात सामने आ रही है कि आईएसआई के इशारे पर ये हमला किया है। बता दें, जांच में इस बात का भी पता चला कि इस हमले में शामिल आतंकियों में से हाशिम मूसा और अली भाई पाकिस्ताना का रहने वाला है। उसे हमले को लेकर उसे सभी दिशा -निर्देश पाकिस्तान से मिल रहे थे। 

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एनआईए की अब तक की कार्रवाई

  • घटनास्थल की 3 D मैंपिग
  • घटनास्थल की डंप डेटा लिया
  • 2800 लोगों से पूछताछ की
  • 150 से ज्यादा लोग हिरासत में
  • 40 से ज्यादा कारतूस फोरेंसिक जांच के लिए भेजे
  • कई ओडब्लूजी गिरफ्तार
  • सीसीटीवी फुटेज की जांच
  • हुर्रियत और जमाते इस्लामी संगठन के लोगों पर छापेमारी

कॉल डिटेल्स की भी गहन जांच जारी

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NIAसे जुड़े सूत्रों के मुताबिक, अब तक की छापेमारी में एजेंसी को कई राष्ट्रविरोधी गतिविधियों से जुड़े अहम सबूत मिले हैं। अनुमान है कि प्रतिबंधित संगठनों ने पहलगाम हमले में शामिल आतंकवादियों के लिए ओवर ग्राउंड वर्कर्स का नेटवर्क तैयार करने में सहायता की थी। हालांकि, यह अभी जांच का विषय है। जिन व्यक्तियों के यहां छापे मारे गए हैं, उनके कॉल डिटेल्स की भी गहन जांच की जा रही है।

आतंकी 15 अप्रैल को ही पहलगाम पहुंच गए थे...

सूत्रों ने बताया कि कुछ प्रतिबंधित संगठनों के सदस्य लगातार ओवर ग्राउंड वर्कर्स के संपर्क में थे और इस संबंध में पुख्ता सबूत NIA को मिल चुके हैं। जांच में यह भी सामने आया है कि हमले को अंजाम देने वाले आतंकी 15 अप्रैल को ही पहलगाम पहुंच गए थे। जिन लोगों ने आतंकियों की सहायता की, उनसे पूछताछ में पता चला है कि पहलगाम के अलावा तीन और स्थान आतंकियों के निशाने पर थे। साथ ही, हमले से पहले कश्मीर घाटी में तीन सैटेलाइट फोन का इस्तेमाल किया गया था।
 

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