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Explainer : लेह लद्दाख में भड़की हिंसा क्या प्लानिंग का हिस्सा थी, कौन है इस साजिश के पीछे ?

केंद्र ने लेह-लद्दाख में हुई हिंसा को लेकर जांच शुरू कर दी है। केंद्र सरकार के उच्चाधिकारियों का मानना है कि लद्दाख में बुधवार को हुई हिंसा स्वाभाविक रूप से नहीं भड़की थी। यह एक पूर्वनियोजित साजिश थी और सब कुछ जानबूझकर कर किया गया। 

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Ranjana Sharma
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क :लद्दाख के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) एसडी सिंह जामवाल ने शनिवार को दावा किया कि केंद्र शासित प्रदेश को राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर भूख हड़ताल का नेतृत्व करने वाले जलवायु कार्यकर्ता के पाकिस्तान से संबंध हैं और उन्होंने पड़ोसी देशों की उनकी यात्राओं को लेकर चिंता जताई। उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत पुलिस ने गिरफ्तार करके राजस्थान की जोधपुर सेंट्रल जेल भेजा है। जाहिर है यह फैसला शायद इसलिए किया गया है कि उनके कार्यकर्ता और समर्थक दूर रहें। हालांकि उनकी गिरफ्तारी से आक्रोश है। यह बड़ा सवाल है कि सोनम वांगचुक का पाकिस्तान कनेक्शन क्या है ?

हिंसा स्वाभाविक रूप से नहीं भड़की थी। 

केंद्र ने लेह-लद्दाख में हुई हिंसा को लेकर जांच शुरू कर दी है। केंद्र सरकार के उच्चाधिकारियों का मानना है कि लद्दाख में बुधवार को हुई हिंसा स्वाभाविक रूप से नहीं भड़की थी। यह एक पूर्वनियोजित साजिश थी और सब कुछ जानबूझकर कर किया गया। इस हिंसा में चार लोग मारे गए हैं, 80 से ज्यादा घायल हुए हैं। हिंसा ऐसे समय में हुई जब केंद्र ने लद्दाख की सुरक्षा व्यवस्था पर चर्चा के लिए शीर्ष निकाय, लेह (एबीएल) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) के साथ 6 अक्टूबर को उच्चाधिकार प्राप्त समिति की बैठक पहले ही निर्धारित कर दी थी। केंद्र और लद्दाख के प्रतिनिधियों, जिनमें लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) के सदस्य शामिल हैं, के बीच अगले दौर की वार्ता 6 अक्टूबर को निर्धारित की गई थी।

क्या है भारतीय संविधान की छठी अनुसूची

भारतीय संविधान की छठी अनुसूची असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम के आदिवासी क्षेत्रों के प्रशासन का प्रावधान करती है। यह विशेष प्रावधान स्वायत्त ज़िला परिषदों के माध्यम से इन क्षेत्रों को स्वायत्तता प्रदान करता है, जिससे उन्हें भूमि, वन और स्थानीय शासन पर कानून बनाने की अनुमति मिलती है। इसका उद्देश्य आदिवासी अधिकारों, रीति-रिवाजों और स्वशासन की रक्षा करना है। जनजातीय मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, लद्दाख में अनुसूचित जनजाति की आबादी लगभग 97% है, जिसमें लेह में 66.8%, नुबरा में 73.35%, खालस्ती में 97.05%, कारगिल में 83.49%, सांकू में 89.96% और ज़ांस्कर में 99.16% शामिल हैं।

विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किसने किया?

लद्दाख के लेह में राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर हुए विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व लेह एपेक्स बॉडी (LAB) ने किया, जो विभिन्न धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक समूहों का एक संयोजन है। द हिंदू में 10 सितंबर की एक रिपोर्ट के अनुसार, कार्यकर्ता सोनम वांगचुक, जो लंबे समय से लद्दाख के अधिकारों और विकास की वकालत करते रहे हैं, इस समूह के सदस्य हैं। वांगचुक विरोध प्रदर्शनों में सबसे आगे रहे थे और लद्दाख की लंबित मांगों पर "परिणाम-उन्मुख" वार्ता के लिए केंद्र पर दबाव बनाने हेतु अन्य सदस्यों के साथ भूख हड़ताल का नेतृत्व कर रहे थे।

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बुजुर्ग महिला के बेहोश होने पर किया था बंद का आह्वान

अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, मंगलवार को विरोध प्रदर्शन के दौरान एक बुजुर्ग महिला और एक पुरुष के बेहोश हो जाने के बाद, एलएबी की युवा शाखा ने बुधवार को लेह में बंद का आह्वान किया था। बुधवार को, एलएबी ने लेह में भाजपा कार्यालय के बाहर एक विशाल सभा का आयोजन किया, जिसके बाद उसे आग लगा दी गई। इस आंदोलन में कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) ने भी भाग लिया, जिसने एलएबी की मांगों का समर्थन किया और 25 सितंबर को बंद सहित पूरे केंद्र शासित प्रदेश में एकजुटता की कार्रवाई का आह्वान किया। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, दोनों संगठन पिछले चार वर्षों से संयुक्त रूप से आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं और अपनी मांगों को आगे बढ़ाने के लिए सरकार के साथ कई दौर की बातचीत कर रहे हैं।

विरोध प्रदर्शन के लिए कांग्रेस को ज़िम्मेदार ठहरा रही है भाजपा

भाजपा नेता अमित मालवीय ने लेह में हुई हिंसा की तस्वीरें और वीडियो शेयर करते हुए कांग्रेस को इससे जोड़ा है। मालवीय ने X पर पोस्ट किया, "लद्दाख में दंगा कर रहा यह व्यक्ति अपर लेह वार्ड का कांग्रेस पार्षद फुंटसोग स्टैनज़िन त्सेपाग है। उसे भीड़ को उकसाते और भाजपा कार्यालय तथा हिल काउंसिल को निशाना बनाकर की गई हिंसा में शामिल होते हुए साफ़ देखा जा सकता है।" हालांकि जिस पार्षद का नाम लेकर मालवीय ने कांग्रेस को इस आंदोलनसे जोड़ा, उसने खुद वीडियो जारी करके मालवीय के झूठ का बेनकाब कर दिया।

चुनावी धांधली को बचाने का आह्वान किया था

कांग्रेस से जुड़े एक यूजर ने पोस्ट किया, "सोनम वांगचुक के लेह, लद्दाख में कई दिनों की भूख हड़ताल के बाद, आज जेनरेशन ज़ेड के युवाओं की बारी थी—वे पूरी ताकत से सामने आए और भाजपा को जमीनी स्तर पर सच्चाई का एहसास दिलाया।" कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भारत के युवाओं और जेनरेशन जेड से लोकतंत्र और कथित चुनावी धांधली को बचाने का आह्वान किया था। भारत के जेनरेशन ज़ेड का उनका ज़िक्र नेपाल में जेनरेशन ज़ेड के हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद आया, जिसके कारण इस महीने की शुरुआत में केपी शर्मा ओली सरकार गिर गई थी।

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लद्दाख में जेनरेशन Z के विरोध प्रदर्शन का दावा

कई लोगों ने दावा किया कि लद्दाख में प्रदर्शनकारी जेनरेशन Z के लोग थे। एक्स पर एक व्यक्ति ने लेह का एक वीडियो शेयर किया, जिसका शीर्षक था: "जेनरेशन Z लद्दाख की सड़कों पर है।" एक अन्य उपयोगकर्ता, जो खुद को एक उद्यमी बताता है, ने आरोप लगाया: "लद्दाख में जेनरेशन Z के प्रदर्शनकारियों ने भाजपा कार्यालय में आग लगा दी, पूरी तरह अराजकता फैल गई। कुछ लोगों ने तो हाल ही में हुए नेपाल विद्रोह से भी इसकी तुलना की, जहाँ जेनरेशन Z के प्रदर्शनकारियों ने ओली सरकार को गिरा दिया था। द प्रोटागोनिस्ट नामक एक सत्यापित अकाउंट ने लिखा: यह नेपाल नहीं है। यह लद्दाख है। कम से कम दो अन्य सत्यापित अकाउंट ने भी लेह में हो रहे विरोध प्रदर्शनों को लद्दाख की जेनरेशन Z से जोड़ा।

बुधवार को लद्दाख में क्या हुआ

लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन ने बुधवार को लेह में हिंसक रूप ले लिया। कार्यकर्ता वांगचुक ने मंगलवार को अपने समर्थकों से हिंसा से बचने की अपील करते हुए अपना 15 दिन का अनशन समाप्त कर दिया। हालाँकि केंद्र के साथ बैठक 6 अक्टूबर के लिए निर्धारित थी, लेकिन प्रदर्शनकारी मांग कर रहे थे कि भूख हड़ताल पर बैठे लोगों के बिगड़ते स्वास्थ्य को देखते हुए तारीख आगे बढ़ा दी जाए। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, बुधवार को एनडीएस मेमोरियल ग्राउंड में बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हुए और राज्य के दर्जे और छठी अनुसूची के समर्थन में नारे लगाते हुए शहर में मार्च किया। बहरहाल, केंद्र सरकार और शीर्ष अधिकारियों ने पाकिस्तान का मुद्दा उछालकर जिस तरह सोनम वांगचुक का नाम लिया है, इससे साफ है कि अब वांगचुक के लिए यह लड़ाई और अधिक कठिन हो जाएगी।

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