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Ghaziabad News - कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025: लिपुलेख दर्रे से महादेव की नगरी की ओर, क्या इंदिरापुरम का कैलाश मानसरोवर भवन है तैयार?

अब देखना यह है कि 30 जून से शुरू होने वाली इस पवित्र यात्रा के लिए गाजियाबाद का कैलाश मानसरोवर भवन कितना तैयार है और श्रद्धालुओं को कितनी सहूलियत दे पाता है। महादेव की कृपा और प्रशासन की सक्रियता से यह यात्रा निश्चित रूप से एक अविस्मरणीय अनुभव होगी।

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Kapil Mehra
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क्या गाजियाबाद प्रशासन तैयार है कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025 के लिए

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गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता 

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सनातन धर्म में भगवान शिव के निवास स्थान के रूप में पूजनीय कैलाश मानसरोवर की ऐतिहासिक यात्रा इस साल 30 जून से शुरू होने जा रही है। कोविड-19 महामारी के कारण 2020 से स्थगित यह यात्रा अब उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे के रास्ते श्रद्धालुओं को महादेव की नगरी तक ले जाएगी।

इस बीच, गाजियाबाद के इंदिरापुरम में स्थित कैलाश मानसरोवर भवन को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह भव्य सुविधा केंद्र तीर्थयात्रियों के स्वागत के लिए पूरी तरह तैयार है?

लिपुलेख दर्रे से कैलाश की यात्रा: नया रास्ता, नई उम्मीदें

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कैलाश मानसरोवर यात्रा का यह रास्ता उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से लिपुलेख दर्रे तक जाता है, जो केवल 65 किलोमीटर की दूरी पर है। यह रूट सबसे छोटा और सुगम माना जाता है, जिसमें यात्रा को पूरा करने में सबसे कम समय लगता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने हाल ही में घोषणा की थी कि भारत और चीन के बीच बेहतर होते कूटनीतिक संबंधों के कारण यह यात्रा जून से सितंबर के बीच संभव हो पाएगी।

यात्रियों को दिल्ली में तीन दिन की ट्रेनिंग और मेडिकल टेस्ट से गुजरना होगा, जिसके लिए दिल्ली हार्ट एंड लंग इंस्टीट्यूट और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) जिम्मेदार होंगे। 

इस यात्रा की सुरक्षा और सुविधा के लिए कुमाऊं मंडल विकास निगम (KMVN) और सिक्किम पर्यटन विकास निगम (STDC) सहायता प्रदान करेंगे। लिपुलेख दर्रे तक सड़क निर्माण का कार्य सीमा सड़क संगठन (BRO) द्वारा पूरा किया गया है, जिससे यात्रा और भी सुगम होगी।

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इंदिरापुरम का कैलाश मानसरोवर भवन: तीर्थयात्रियों का स्वागतगृह

गाजियाबाद के इंदिरापुरम, शक्ति खंड-चार में स्थित कैलाश मानसरोवर भवन देश का पहला ऐसा सुविधा केंद्र है, जो विशेष रूप से कैलाश मानसरोवर और चारधाम यात्रियों के लिए बनाया गया है। 31 अगस्त 2017 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसकी आधारशिला रखी थी, और दिसंबर 2020 में उन्होंने इसका उद्घाटन किया।

9,000 वर्ग मीटर में फैले इस चार मंजिला भवन का निर्माण जयपुरी पत्थरों से किया गया है, और इसे 62.34 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया, जो स्वीकृत 69.48 करोड़ रुपये से कम है।इस भवन में 280 तीर्थयात्रियों के ठहरने की व्यवस्था है, जिसमें 46 चार-सीटर और 48 दो-सीटर कमरे शामिल हैं। फाइव स्टार होटल जैसी सुविधाओं से लैस इस भवन में केंद्रीयकृत वातानुकूलन, योग और ध्यान के लिए अलग-अलग हॉल, भगवान शिव के भक्ति गीतों की व्यवस्था, और 188 कारों की पार्किंग सुविधा उपलब्ध है। यह भवन न केवल कैलाश मानसरोवर यात्रियों, बल्कि चारधाम, अमरनाथ, और लेह-लद्दाख यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी खुला है।

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क्या भवन है तैयार?

2022 में गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) को इस भवन को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल पर संचालित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। यहां कमरे 200 रुपये प्रतिदिन के किराए पर उपलब्ध हैं, और 150-200 रुपये में नाश्ता, दोपहर और रात का भोजन मिलता है।हालांकि, 2025 की कैलाश मानसरोवर यात्रा की शुरुआत से पहले भवन की तैयारियों को लेकर कोई ताजा आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।

2021 में इस भवन में कोरोना टीकाकरण केंद्र और आइसोलेशन सेंटर भी चलाया गया था, जिससे इसकी बहुउपयोगिता साबित होती है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, भवन को यात्रियों के स्वागत के लिए तैयार रखा गया है, लेकिन बुकिंग प्रक्रिया और सुविधाओं के संचालन को और सुचारू करने की जरूरत है। जीडीए और धर्मार्थ कार्य विभाग को यह सुनिश्चित करना होगा कि यात्रियों को बिना किसी असुविधा के ठहरने और अन्य सुविधाएं मिलें।

श्रद्धालुओं के लिए राहत, प्रशासन के सामने चुनौती

कैलाश मानसरोवर यात्रा का दोबारा शुरू होना लाखों श्रद्धालुओं के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। इंदिरापुरम का कैलाश मानसरोवर भवन इस यात्रा को और यादगार बनाने में अहम भूमिका निभा सकता है, बशर्ते इसकी सुविधाएं पूरी तरह चालू हों। प्रशासन के सामने चुनौती है कि भवन की बुकिंग प्रक्रिया को ऑनलाइन और पारदर्शी बनाया जाए, साथ ही यात्रियों की संख्या बढ़ने पर भीड़ प्रबंधन और स्वच्छता का ध्यान रखा जाए।

आगे की राह

कैलाश मानसरोवर यात्रा और इंदिरापुरम का कैलाश मानसरोवर भवन दोनों ही सनातन धर्म की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। यात्रियों को सलाह दी जाती है कि वे यात्रा से पहले भवन में बुकिंग और सुविधाओं की जानकारी जीडीए या धर्मार्थ कार्य विभाग से प्राप्त कर लें। यह भवन न केवल एक ठहरने की जगह, बल्कि शिव भक्ति, योग और ध्यान का केंद्र बनने की क्षमता रखता है।

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