नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। Mahakumbh 2025: सपा मुखिया अखिलेश यादव ने एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट पर महाकुंभ में हुई मौतों को लेकर बड़े सवाल उठाए हैं। इस रिपोर्ट और सरकार द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों और जमीनी सच्चाई के बीच भारी विरोधाभास सामने आया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक महाकुंभी में हुई भगदड़ में 37 मौतें हुई थीं, जबकि रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भगदड़ में 82 मौतें हुई थीं। अखिलेश यादव ने एक्स पर पोस्ट कर कहा है कि अब सवाल सिर्फ आंकड़ों को छिपाने का नहीं, बल्कि संसद में झूठ बोलने, नकद मुआवजा देने की प्रक्रिया, और सत्य को दबाने के प्रयासों का भी है।
तथ्य बनाम सत्यः 37 बनाम 82
Mahakumbh Stampede: अखिलेश यादव ने अपनी एक्स पोस्ट की शुरूआत 'तथ्य बनाम सत्यः 37 बनाम 82' से की है। उन्होंने लिख है कि सब देखें, सुनें- समझें और साझा करें। सत्य की केवल पड़ताल नहीं, उसका प्रसार भी उतना ही जरूरी है। भाजपा और उनके समर्थक भी आत्ममंथन करें। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि न्यूज एजेंसी की टीम देश भर के 11 राज्यों के 50 जिलों में गई और 100 परिवारों से मिली। रिपोर्ट में 100 परिवारों के नाम पते भी दिए गए हैं। अखिलेश यादव ने कहा है कि यह रिपोर्ट इस मामले का अंत नहीं, बल्कि महाकुंभ में हुई मौतों और उससे जुड़े आर्थिक लेनदेन की सच्चाई को उजागर करने की शुरुआत है। सूचना के परदे हट रहे हैं, और सत्य धीरे-धीरे सामने आ रहा है।
अखिलेश ने उठाए यह अहम प्रश्न
Mahakumbh Stampede: इस रिपोर्ट में नगद मुआवजा देकर फर्जी हलफनामें हासिल करने का भी आरोप है। अखिलेश यादव ने सवाल उठाए हैं कि महाकुंभ भगदड़ पीड़ितों को मुआवजे में नकद राशि क्यों दी गई? नकद पैसा आया कहाँ से? जिन परिवारों तक पैसा नहीं पहुंचा, वह धन वापस कहां गया? नकद वितरण का आदेश किसके कहने पर दिया गया? मृत्यु के कारण को बदलने का दबाव किस स्तर से आया? अखिलेश यादव ने कहा है- इन सवालों ने पूरे महाकुंभ प्रशासन और सरकार की पारदर्शिता पर सवालिया निशान लगा दिया है। उन्होंने कहा रिपोर्टिंग का उद्देश्य सिर्फ सत्य की पड़ताल नहीं, बल्कि उसका प्रसार भी है, क्योंकि सत्य जितना उजागर होता है, झूठ की परतें उतनी ही तेजी से उतरती जाती हैं।