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मुंबई ट्रेन बम विस्फोट केस: आरोपियों के बरी किए जाने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी महाराष्ट्र सरकार

फैसले पर हैरानी जताते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि  "बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला हमारे लिए चौंकाने वाला है, हम इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।"  वरिष्ठ वकील उज्ज्वल निकम ने इस पर बड़ी प्रतिक्रिया दी है।

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Mukesh Pandit
Bumbai train blast
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मुंबई, वाईबीएन डेस्क।  2006 के मुंबई ट्रेन बम विस्फोटों के संबंध में बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा सभी 12 आरोपियों को बरी किए जाने के बांबे हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी। फैसले पर हैरानी जताते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि  "बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला हमारे लिए चौंकाने वाला है, हम इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।"  वरिष्ठ वकील उज्ज्वल निकम ने इस पर बड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि अगर मुंबई सत्र न्यायालय जिन सबूतों के आधार पर सजा सुनाता है, वे उच्च न्यायालय में टिक नहीं पाते, तो इसमें किसकी गलती है? 

बरी किए जाने से हैरान हूं

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि मकोका अदालत ने आरोपियों को सजा सुनाई थी, लेकिन हाईकोर्ट ने जिस तरह सभी 12 आरोपियों को सूबुतों के अभाव में बरी करने का फैसला सुनाया, वह हैरान करने वाला है। आज आरोपियों को बरी किया जाना गंभीर है। मुझे पूरा विश्वास है कि सर्वोच्च न्यायालय इस मामले में तथ्यों को गौर से देखेगा।

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आरोपियों को बरी किया जाना गंभीर विषय : उज्ज्वल निकम 

वरिष्ठ वकील एवं भाजपा की ओर से राज्यसभा के लिए नामित उज्ज्वल निकम ने कहा कि साल 2006 का हमला एक भयानक आतंकवादी कृत्य था। जिस तरह 12 मार्च, 1993 को आरडीएक्स का इस्तेमाल किया गया था, उसी तरह 2006 के विस्फोट में भी आरडीएक्स का इस्तेमाल किया गया था। सबूतों से ऐसा लगता है कि आरोपी को मुंबई सत्र न्यायालय द्वारा दिए गए कबूलनामे के आधार पर दोषी ठहराया गया था। उच्च न्यायालय ने कहा है कि इस सबूत पर भरोसा नहीं किया जा सकता। अदालत के फैसले का गहन अध्ययन करने के बाद इस फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में स्थगन याचिका दायर की जानी चाहिए।

सबूतों पर अदालत का अविश्वास बेहद गंभीर

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उन्होंने आगे कहा कि बम विस्फोट में कई निर्दोष लोग मारे गए थे और आरोपी को इस तरह बरी कर दिया गया। मामले में सबूतों पर अदालत का अविश्वास बेहद गंभीर है। सरकार को भी इस फैसले की समीक्षा करनी चाहिए और सर्वोच्च न्यायालय में अपील करनी चाहिए। अगर मुंबई सत्र न्यायालय जिन सबूतों के आधार पर सजा सुनाता है, वे उच्च न्यायालय में टिक नहीं पाते, तो इसमें किसकी गलती है? अगर कानून का विश्लेषण करते समय कोई गलती हुई या मशीन ने गलत सबूत इकट्ठा किए, तो यह गंभीर बात है। मुझे यकीन है कि सरकार सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर करेगी।

महाराष्ट्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय जाएगी: किरीट सोमैया

इस मामले पर भाजपा नेता किरीट सोमैया ने कहा कि आज मैंने 2006 के पीड़ितों के संबंध में महाराष्ट्र के अतिरिक्त मुख्य सचिव इकबाल सिंह चहल से मुलाकात की। कुछ पीड़ित मेरे साथ मौजूद थे, अन्य नहीं आ सके, इसलिए मैंने उनकी भावनाओं से उन्हें अवगत कराया। चहल ने हमें बताया कि महाराष्ट्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय जाने का फैसला किया है।

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 यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण फैसला है : संजय निरुपम 

वहीं, शिवसेना प्रवक्ता संजय निरुपम ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण फैसला है और हम इसे स्वीकार नहीं करते। जब मुंबई की लोकल ट्रेनों में विस्फोट हुए, जिसमें लगभग 180 मुंबईकरों की जान गई, तो यह निस्संदेह एक बड़ी साजिश का नतीजा था। किसी ने इस बम विस्फोट की योजना बनाई थी। हमारी जांच एजेंसियों ने लोगों को गिरफ्तार किया, उनके खिलाफ आरोप पत्र दायर किए गए और निचली अदालत ने उन्हें मृत्युदंड सहित कई सजाएं भी सुनाईं। अगर अब हाईकोर्ट कहता है कि उनमें से कोई भी जिम्मेदार नहीं है, तो सवाल उठता है कि उन ट्रेनों में विस्फोट किसने किए?

मकोका कोर्ट ने 2015 में 5 को दी थी सजा-ए-मौत

11 जुलाई 2006 को मुंबई लोकल ट्रेन के सात डिब्बों में सीरियल बम ब्लास्ट हुए थे, जिसमें 189 लोग मारे गए और 824 घायल हुए। महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने मामले की जांच शुरू की। आठ साल की लंबी सुनवाई के बाद मकोका की विशेष अदालत ने 30 सितंबर 2015 को 13 दोषियों में से पांच को मौत की सजा सुनाई। मौत की सजा पाए दोषियों में कमाल अंसारी, मोहम्मद फैसल अताउर्रहमान शेख, एहतेशाम कुतुबुद्दीन सिद्दीकी, नवीद हुसैन खान और आसिफ खान शामिल थे। आजीवन कारावास की सजा पाने वाले सात अन्य दोषियों में तनवीर अहमद मोहम्मद इब्राहिम अंसारी, मोहम्मद माजिद मोहम्मद शफी, शेख मोहम्मद अली आलम शेख, मोहम्मद साजिद मरगूब अंसारी, मुजम्मिल अताउर्रहमान शेख, सुहैल महमूद शेख और जमीर अहमद लतीउर्रहमान शेख शामिल थे। वाहिद शेख को बरी कर दिया गया था।  

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