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जातिगत जनगणना को लेकर Kharge ने PM Modi को लिखी चिट्ठी, कर दी ये बड़ी डिमांड

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने जाति आधारित जनगणना के मुद्दे पर सभी राजनीतिक दलों से बातचीत करने की मांग की है।

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Pratiksha Parashar
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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क मोदी सरकार द्वारा जातिगत जनगणना का ऐलान होने के बाद से इसे लेकर सियासत गरमाई हुई है। कांग्रेस इस मुद्दे पर मोदी सरकार को घेर रही है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने जाति आधारित जनगणना के मुद्दे पर सभी राजनीतिक दलों से बातचीत करने की मांग की है। इसके साथ ही खरगे ने कहा है कि इस जनगणना के लिए तेलंगाना मॉडल का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। खरगे ने यह भी सुझाव दिया कि राज्यों द्वारा तय किए गए आरक्षण को तमिलनाडु की तरह संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि 50% आरक्षण की सीमा हटाई जाए और निजी कॉलेजों में भी आरक्षण लागू किया जाए।

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"जातिगत जनगणना पर पीएम का यूटर्न"

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने 5 मई को इस पत्र को सोशल मीडिया पर शेयर किया। उन्होंने बताया कि यह पत्र कांग्रेस की 2 मई को हुई बैठक के बाद लिखा गया। जयराम रमेश ने कहा, "कांग्रेस कार्यसमिति की दो मई को हुई बैठक के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोमवार रात प्रधानमंत्री को पत्र लिखा। देश पहलगाम में हुए बर्बर आतंकी हमले को लेकर आक्रोश और पीड़ा से गुजर रहा था, और इसी बीच प्रधानमंत्री मोदी ने जातिगत जनगणना पर अचानक और हताशाजनक ‘यू-टर्न’ लिया। खरगे जी ने अपने पत्र में तीन बेहद महत्वपूर्ण और स्पष्ट सुझाव दिए हैं।" 

जातिगत जनगणना पर मोदी सरकार को घेरा

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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पहले भी 16 अप्रैल 2023 को इसी मांग को लेकर प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। उन्होंने कहा कि भाजपा के नेता और खुद प्रधानमंत्री इस मांग को लेकर कांग्रेस पर हमला करते रहे, जबकि अब खुद प्रधानमंत्री मान रहे हैं कि जाति जनगणना सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण के लिए जरूरी है। प्रधानमंत्री ने घोषणा की है कि अगली जनगणना में जाति से जुड़ा डेटा भी लिया जाएगा, लेकिन इसके बारे में कोई साफ जानकारी नहीं दी गई है।

जातिगत जनगणना के लिए खरगे के सुझाव

1. तेलंगाना मॉडल अपनाएं: जनगणना की प्रश्नावली ठीक से बनाई जाए ताकि जातियों की सही सामाजिक और आर्थिक स्थिति सामने आ सके।

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2. 50% आरक्षण की सीमा हटे: जनगणना के बाद अगर जरूरत हो तो संविधान में संशोधन करके यह सीमा हटाई जाए।

3. निजी संस्थानों में आरक्षण: संविधान के अनुच्छेद 15(5) को लागू करने के लिए नया कानून बने, ताकि निजी कॉलेजों में भी एससी, एसटी और ओबीसी को आरक्षण मिल सके।

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जातिगत जनगणना के लिए खरगे के सुझाव

खरगे ने पत्र में लिखा, "अनुच्छेद 15 (5) को भारतीय संविधान में 20 जनवरी 2006 से लागू किया गया था। इसके बाद इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। लंबे विचार-विमर्श के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने 29 जनवरी 2014 को इसे बरकरार रखा। यह फैसला 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले आया।" खरगे के मुताबिक मुताबिक, यह निजी शिक्षण संस्थानों में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और ओबीसी के लिए आरक्षण का प्रावधान करता है। खरगे ने कहा कि संसद की एक स्थायी समिति ने गत 25 मार्च को उच्च शिक्षा विभाग के लिए अनुदान की मांग पर अपनी 364वीं रिपोर्ट में भी अनुच्छेद 15 (5) को लागू करने के लिए नया कानून बनाने की सिफारिश की थी। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का मानना है कि सामाजिक और आर्थिक न्याय तथा स्थिति और अवसर की समानता सुनिश्चित करने के लिए जाति जनगणना को उपरोक्त सुझाए गए समग्र तरीके से कराना अत्यंत आवश्यक है। यही हमारे संविधान की प्रस्तावना में भी संकल्पित है।

pm modi | Jatiya Janaganana 

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