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नई दिल्ली , वाईबीएन डेस्क : भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चौकसी के प्रत्यर्पण मामले में भारत सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए मुंबई की आर्थर रोड जेल की बैरक नंबर 12 की तस्वीरें और विवरण बेल्जियम अधिकारियों को सौंप दिए हैं। यह वही हाई-सिक्योरिटी जेल है जहां 26/11 हमले के दोषी अजमल कसाब को भी रखा गया था। भारत ने यह कदम चौकसी के उन दावों को खारिज करने के लिए उठाया है जिनमें उसने भारतीय जेलों को भीड़भाड़ भरी, असुरक्षित और मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वाली बताया था।
बैरक नंबर 12: आधुनिक सुविधाओं से युक्त हाई-सिक्योरिटी वार्ड
मेहुल चौकसी को बैरक नंबर 12 में रखा जाएगा। इसका क्षेत्रफल 46 वर्ग मीटर है और इसमें दो सेल, निजी शौचालय और बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हैं। भारत ने अदालत को बताया कि चौकसी को इस बैरक में ही रखा जाएगा और उसे केवल चिकित्सा जरूरतों या कोर्ट पेशी के लिए बाहर लाया जाएगा। सरकार की रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया गया है कि चौकसी की निगरानी जांच एजेंसियां नहीं, बल्कि भारतीय न्यायपालिका करेगी। जेल में मानवाधिकारों का पूर्ण सम्मान किया जाएगा और स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध रहेंगी। आर्थर रोड जेल अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है
बेल्जियम कोर्ट ने चौकसी की आपत्तियां खारिज कीं
चौकसी के वकील ने बेल्जियम की अदालत में दलील दी थी कि भारत में न्यायपालिका स्वतंत्र नहीं है और जेलों की हालत खराब है। इसके जवाब में कोर्ट ने साफ कहा कि चौकसी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्टें तिहाड़ जेल या सिख कार्यकर्ताओं से संबंधित हैं, जिनका उनके मामले से कोई लेना-देना नहीं है। अदालत ने यह भी कहा कि मीडिया कवरेज किसी भी हाई-प्रोफाइल मामले में सामान्य बात है और इससे न्यायिक पक्षपात का कोई प्रमाण नहीं मिलता। चौकसी यह साबित नहीं कर सके कि भारत में उन्हें इलाज नहीं मिलेगा या उनके साथ अमानवीय व्यवहार होगा।
प्रत्यर्पण का रास्ता साफ
बेल्जियम कोर्ट के इस फैसले के बाद मेहुल चौकसी के भारत प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को हरी झंडी मिल गई है। अदालत ने चौकसी के राजनीतिक प्रताड़ना और मानवाधिकार हनन के आरोपों को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि भारत वापसी में कोई कानूनी बाधा नहीं है।