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AI का चमत्कार, 25 साल बाद लौटी सारा एजेकील की खोई हुई आवाज

55 साल की सारा एजेकील ने एआई की मदद से 25 साल पहले खोई अपनी आवाज वापस पाई। उन्हें 25 साल पहले मोटर न्यूरॉन रोग का पता चला था, जिससे मांसपेशियां कमजोर हो गईं और धीरे-धीरे आवाज चली गई।

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Ranjana Sharma
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) ने मानव जीवन में कई अद्भुत बदलाव लाए हैं, लेकिन 55 साल की सारा एजेकील की कहानी वास्तव में चमत्कार जैसी है। एआई की मदद से सारा ने 25 साल पहले खोई अपनी आवाज वापस पा ली।

मोटर न्यूरॉन रोग ने छीनी थी आवाज 

सारा एजेकील को 25 साल पहले मोटर न्यूरॉन रोग का पता चला था। यह बीमारी नसों और मांसपेशियों को कमजोर कर देती है, जिससे इंसान बोलने, निगलने और चलने-फिरने में कठिनाई महसूस करता है। समय के साथ इस बीमारी के कारण आवाज भी धीरे-धीरे चली जाती है। सारा के साथ भी यही हुआ और उनका संवाद करना लगभग असंभव हो गया।

सारा की आवाज को एआई को ट्रेनिंग देने के लिए इस्तेमाल किया

हाल ही में सारा के परिवार के पास मौजूद एक आठ सेकंड की पुरानी वीडियो क्लिप से उनकी खोई हुई आवाज को पुनः जीवित किया गया। इस वीडियो में सारा अपनी बेटी से बात कर रही थीं। वैज्ञानिकों ने इस वीडियो क्लिप से आठ सेकंड का ऑडियो सैंपल लिया और इसे एआई को ट्रेनिंग देने के लिए इस्तेमाल किया। इस प्रक्रिया में सारा की आवाज की टोन, पिच और बोलने का तरीका एआई मॉडल को सिखाया गया।

सिंथेटिक वॉयस तैयार की गई

एआई की मदद से इस ट्रेनिंग के आधार पर एक सिंथेटिक वॉयस तैयार की गई, जो सुनने में सारा की वास्तविक आवाज जैसी लगती है। इस तकनीक के जरिए अब सारा अपने शब्दों को कंप्यूटर पर टाइप करती हैं, और एआई उनके लिखे को उनकी ही आवाज में बोल देता है। इस तरह वह अपनी फैमिली मेंबर्स के साथ संवाद कर सकती हैं और अपनी खुद की आवाज में बात कर सकती हैं।

आई के माध्यम से जीवन हुआ बेहतर 

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यह घटना न केवल एआई की शक्ति और क्षमता को दर्शाती है, बल्कि मेडिकल फील्ड में टेक्नोलॉजी के अनगिनत संभावित लाभों का भी उदाहरण है। इससे यह स्पष्ट होता है कि एआई के माध्यम से न केवल जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है, बल्कि उन लोगों को भी आवाज दी जा सकती है, जिन्होंने लंबे समय तक अपनी आवाज खो दी हो। सारा एजेकील की यह कहानी विज्ञान और टेक्नोलॉजी के सामंजस्य का जीवंत उदाहरण है, जो दिखाती है कि एआई सिर्फ़ रोजमर्रा की सुविधाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं में भी आशा और नई जिंदगी ला सकता है।

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