नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: भाजपा के अध्यक्ष
जेपी नड्डा ने बुधवार को कहा कि
कांग्रेस में आज भी वही तानाशाही मानसिकता कायम है जो 50 साल पहले आपातकाल के दौरान देखने को मिली थी। उन्होंने बताया कि कांग्रेस आज भी मानती है कि देश पर शासन करने का अधिकार केवल एक परिवार को ही प्राप्त होना चाहिए। आपातकाल के 50 साल पूरे होने के अवसर पर नड्डा ने कहा कि कांग्रेस अब भी नरेंद्र मोदी जैसे सामान्य पृष्ठभूमि वाले नेता को प्रधानमंत्री बनाने को स्वीकार नहीं कर पाई है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेताओं ने संविधान की बातें तो खूब कीं, लेकिन आपातकाल के दौरान विपक्षी नेताओं को जेल में डालने, प्रेस पर पाबंदी लगाने और नागरिक स्वतंत्रता निलंबित करने के लिए आज तक माफी नहीं मांगी है। उन्होंने बताया कि उस समय संविधान में अलोकतांत्रिक संशोधन किए गए और उसकी आत्मा को नुकसान पहुंचाया गया।
कांग्रेस शासित राज्यों में आज भी इमरजेंसी जैसे हालात
नड्डा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस शासित राज्यों में आज भी कानून व्यवस्था की स्थिति आपातकाल के दौर जैसी ही है, जहां असहमति दबाई जाती है, धार्मिक तुष्टीकरण होता है और सत्ता का अहंकार दिखाया जाता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने अपने नेताओं को कुछ पत्रकारों के कार्यक्रमों में भाग लेने से रोका था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सत्ता में होते हुए पत्रकारों के खिलाफ मुकदमे करती है और विपक्ष में रहते हुए उनका बहिष्कार करती है।
नेताओं को जेल भेजे जाने की घटना का किया जिक्र
आपातकाल के दौरान भाजपा के पूर्ववर्ती जनसंघ सहित विपक्षी नेताओं को जेल भेजे जाने की घटना का जिक्र करते हुए नड्डा ने कहा कि तब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रचारक नरेंद्र मोदी ने सरकार की नीतियों की आलोचना कर जनता में जागरूकता फैलाई थी। उन्होंने लोगों से ‘द इमरजेंसी डायरीज – ईयर्स दैट फोर्ज्ड ए लीडर’ नामक पुस्तक पढ़ने का आग्रह भी किया, जिसमें मोदी की आपातकाल के खिलाफ लड़ाई की भूमिका को विस्तार से बताया गया है।
कांग्रेस सरकार ने न्यायाधीशों को भी दंडित किया
नड्डा ने कहा कि आपातकाल की घटनाओं को याद रखना बेहद जरूरी है। उन्होंने जोर दिया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश को परिवारवाद और व्यक्तिवाद की प्रयोगशाला में तब्दील कर दिया था। उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान कांग्रेस सरकार ने न्यायमूर्ति एच. आर. खन्ना जैसे न्यायाधीशों को दंडित किया और उन्हें भारत के प्रधान न्यायाधीश के पद से वंचित रखा। नड्डा ने बताया कि उस वक्त पुलिस की गोली लगने पर भी किसी नागरिक को अदालत जाने का अधिकार नहीं था। लोकतंत्र की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वालों को श्रद्धांजलि देते हुए नड्डा ने कहा कि आपातकाल भारतीय लोकतंत्र का एक काला अध्याय था, जब संविधान की हत्या हुई। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उसमें आज भी वही तानाशाही मानसिकता विद्यमान है।
JP Nadda