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National Voters Day:आपके वोट की 'संजीवनी' से बनता है जीवंत लोकतंत्र, मत अवश्य दें

लोकतंत्र की समृद्ध विरासत में परिवर्तन के धागे इसके वोटरों द्वारा बुने जाते हैं क्योंकि चुनाव में डाला गया हरेक वोट सिर्फ ईवीएम का बटन दबाने भर का जतन नहीं है, बल्कि बेहतर कल की उम्मीदों की एक किरण है।जीवंत लोकतंत्र में वोट की पावर सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।

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Mukesh Pandit
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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।

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National Voters Day: भारत के लोकतंत्र की समृद्ध विरासत में परिवर्तन के धागे इसके वोटरों द्वारा बुने जाते हैं, क्योंकि चुनाव में डाला गया हरेक वोट सिर्फ ईवीएम ( इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन) का बटन दबाने भर का जतन नहीं है, बल्कि बेहतर कल की उम्मीदों की एक किरण है। इसलिए चुनाव में 'मेरा वोट मेरा भविष्य' जैसे वाक्य महज शब्द भर नहीं हैं, यह मतदान और मतदान जागरूकता के अभियान में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इससे ही एक जीवंत लोकतंत्र बनता है। देश में मतदाताओं की संख्य़ा  सौ करोड़ के करीब है। निर्वाचन आयोग द्वारा जारी ताजा आंकड़े देखें तो मतदाताओं की संख्या अब 99.1 करोड़ हो गई है, जो पिछले वर्ष लोकसभा चुनाव के समय 96.88 करोड़ थी। हालांकि विडंबना है कि मतदाता जागरूकता जैसे राष्ट्रव्यापी अभियानों के बावजूद भी वोट प्रतिशत बढ़ाना एक चुनौतीपूर्ण काम है। अब भी 30 से 35 करोड़ ऐसे मतदाता हैं, जो चुनाव की प्रक्रिया से विरत हैं या कहें चुनावी यज्ञ में आहुति देने में उनकी अरुचि है।

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'लोकतंत्र का सार यह है कि प्रत्येक व्यक्ति उन सभी विविध हितों का प्रतिनिधित्व करता है जो राष्ट्र का निर्माण करते हैं"। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी

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इस वर्ष की थीम 'वोटिंग जैसा कुछ नहीं, वोट जरूर डालेंगे हम' 

बताते चलें कि मतदान के मौलिक अधिकार का जश्न मनाने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिवर्ष 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाया जाता है। राष्ट्रीय मतदाता दिवस, नागरिकों को अपने नेताओं को चुनने के उनके मौलिक अधिकार की याद दिलाता है। इस वर्ष की थीम 'वोटिंग जैसा कुछ नहीं, वोट जरूर डालेंगे हम' है। साथ ही चुनाव आयोग अपनी स्थापना के 75 वर्ष पूरे होने का उत्सव भी मना रहा है। मतदाता दिवस की थीम चुनावी प्रक्रिया में भागीदारी के महत्व पर जोर देती है और मतदाताओं को अपने मताधिकार का प्रयोग करने में गर्व महसूस करने के लिए प्रोत्साहित भी करती है। इस वर्ष मतदाता दिवस की 15वीं वर्षगांठ है, जिसका उद्देश्य मतदाता जागरूकता और भागीदारी को बढ़ाना है। विशेषकर युवाओं के बीच, क्योंकि भारत दुनिया के सबसे युवा देशों में सबसे अग्रणी है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि 'लोकतंत्र का सार यह है कि प्रत्येक व्यक्ति उन सभी विविध हितों का प्रतिनिधित्व करता है जो राष्ट्र का निर्माण करते हैं"।

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लोकतंत्र की आधारशिला रखना है वोट डालना 

निसंदेह, मतदान और मतदान अभियान भारत की लोकतांत्रिक नींव की आधारशिला के रूप में काम करते हैं। इसकी विशेषताएं हैं आवाज और पसंद की अभिव्यक्ति, जवाबदेही को बढ़ावा देना, प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना, लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखना और नागरिक भागीदारी को बढ़ावा देना शामिल है। जब हम राष्ट्रों के भविष्य को आकार देने में मतदान की भूमिका पर विचार करते हैं, तो अपने वोट का मूल्य पता चलता है। वोटिंग, संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकार है और सभी का यह दायित्व है कि वे अपने इस लोकतांत्रिक मौलिक अधिकार की रक्षा के लिए खुद को प्रतिबद्ध करें।

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देश में अब 99.1 करोड़ मतदाता

राष्ट्रीय मतदाता दिवस से दो दिन पहले निर्वाचन आयोग ने देश में कुल मतदाताओं का आंकड़ा जारी किया है। मतदाता सूची युवा और लैंगिक रूप से संतुलित नजरआत है, जिसमें 18-29 आयु वर्ग के 21.7 करोड़ युवा मतदाता हैं और मतदाता लैंगिक अनुपात 2024 में 948 से छह अंक बढ़कर 2025 में 954 हो गया है। देश में मतदाताओं की संख्या अब बढ़कर 99.1 करोड़ हो गई है, जो पिछले वर्ष लोकसभा चुनाव के समय 96.88 करोड़ थी। चुनाव आयोग का दावा है कि वर्ष के अंत तक मतदाताओं का आकंड़ा सौ करोड़ के जादुई आंकड़े को भी छू लेगा। 3.83 करोड़ नए पंजीकरण कि‍ए गए हैं। इनमें से 1.11 करोड़ मतदाता 18-19 वर्ष आयु समूह के हैं, जो पहली जनवरी, 2012 को बनाये गए। यह मतदाता योग्‍यता  की ति‍थि‍है। पि‍छले वर्ष 52 लाख युवा मतदाता बनाए गए थे, जि‍न्‍होंन 18 वर्ष की आयु प्राप्‍त कर ली थी। यह वि‍श्‍व में कि‍सी स्‍थान पर एक दि‍न में युवाओं के सबसे बड़े सशक्‍तीकरण को लक्षि‍त करता है। इस वर्ष यह संख्‍या दुगने से भी अधि‍क बढ़ गई है।

वोट प्रतिशत बढ़ाना अब भी चुनौती

तमाम प्रयासों और अभियानों के बावजूद चुनाव में वोट प्रतिशत बढ़ाने में पूरी तरह कामयाबी नहीं मिल रही है, जो किसी चुनौती से कम नहीं है। भारत निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार, लोकसभा चुनाव 2024 में कुल मिलाकर 65.79% मतदान किया गया है। ये 2019 चुनाव के चुनाव की तुलना में 1.61% कम रहा। पिछली बार कुल आंकड़ा 67.40% था। असम में सबसे ज्यादा 81.56 फीसदी मतदान, जबकि बिहार में सबसे कम 56.19 फीसदी मतदान हुआ। इस चुनाव में पुरुष वोटर्स ने 65.80% और महिला वोटर्स ने 65.78% मतदान किया। वहीं, अन्य ने 27.08% वोटिंग की। वर्ष 2019 लोकसभा चुनाव में 61.5 करोड़ लोगों ने वोट डाले थे। इस बार मतदाताओं की संख्या बढ़कर 64.2 करोड़ हो गई। इस पर मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा था कि कि यह अपने आप में विश्व रिकॉर्ड है। यह सभी जी-7 देशों के मतदाताओं का 1.5 गुना और ईयू के 27 देशों के मतदाताओं का 2.5 गुना है।

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पर्ची से ईवीएम तक का सफर

भारत जैसे विशाल देश में शांतिपूर्ण एवं निष्पक्ष चुनाव कराना भी किसी कठिन और चुनौतीभरा काम माना जाता है। चुनाव कराने की प्रक्रिया में चुनाव आयोग ने भी लंबा सफर तय किया है। टीएन शेषन और जे लिंगदोह जैसे मुख्य चुनाव आयुक्त देखें हैं। आयोग की लंबी यात्रा के दौरान उसके कार्य की गुणवत्‍ता और स्‍तर में भी पर‍िवर्तन नजर आया है।  1962 में जहां मतदान की प्रक्रि‍या पर्ची डालने की प्रणाली थी वहीं वर्ष 2004 से मतदान के लिए इलेक्‍ट्रॉनि‍क वोटिंग मशीन(ईवीएम) पर आधारि‍त वर्तमान प्रणाली शुरू की गई। बहु-सदस्‍यीय नि‍र्वाचन क्षेत्रों का स्‍थान एकल सदस्‍यीय नि‍र्वाचन ने ले लि‍या है।  छपी हुई मतदाता सूचि‍यों का स्‍थान अब कम्‍प्‍यूट्रीकृत फोटो-मतदाता सूचि‍यों ने ले लि‍या है। मतदाताओं का सचि‍त्र पहचान पत्र अब सभी नागरि‍कों को प्राप्‍त हो गया है।  यह 2009 के आम चुनावों के समय  582 मि‍लि‍यन से अधि‍क मतदाताओं को जारी कि‍ए गए थे। अप्रैल-मई 2009 में कराए गए 15वीं लोकसभा के चुनाव वि‍श्‍व में प्रबंधन की सबसे बड़ी घटना बताई गई है। इसमें 714 मि‍लि‍यन मतदाता, 8 लाख 35  हजार मतदान केन्‍द्र, 12 लाख मतदान की इलेक्‍ट्रोनि‍क मशीनों और 11 मि‍लि‍यन मतदान कर्मचारि‍यों ने भाग लि‍या। 

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वर्ष 2011 में हुई थी शुरुआत

राष्ट्रीय मतदाता दिवस हर वर्ष 25 जनवरी को निर्वाचन आयोग के स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसकी स्थापना वर्ष 1950 में इसी दिन हुई थी। चुनाव आयोग (ECI)ने वर्ष 2011 में राष्ट्रीय मतदाता दिवस की घोषणा की थी। पिछले वर्ष 'मतदान से बढ़कर कुछ नहीं, मैं निश्चित रूप से मतदान करता हूं' थीम थी। 1950 में गठित ECI ने मतदाता जागरूकता और भागीदारी बढ़ाने की आवश्यकता को पहचाना। लोकतंत्र के इस महत्वपूर्ण पहलू को एक दिन समर्पित करके, ECI का उद्देश्य नागरिकों को उनके मतदान अधिकारों के बारे में शिक्षित करना और उन्हें चुनावी प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना है। वैसे, मतदान को भारत में लोकतंत्र का त्यौहार कहा जाता है।

 

 

 

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