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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: लोकतंत्र की निष्पक्षता को लेकर उठे सवालों के बीच विपक्ष मुख्य चुनाव आयुक्त(CEC) के खिलाफ महाभियोग लाने पर विचार कर रहा है। सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल इस मुद्दे पर गंभीर मंथन कर रहे हैं। बता दें विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग पर 'वोट चोरी' का आरोप लगाया है और बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण को लेकर भी चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। इन आरोपों के बीच चुनाव आयोग ने रविवार को एक अहम प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपना पक्ष रखा।
कांग्रेस इस स्थिति में करेगी महाभियोग प्रस्ताव लाने पर विचार
कांग्रेस सांसद सैयद नासिर हुसैन ने मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की संभावनाओं को लेकर बयान दिया है। उन्होंने कहा कि फिलहाल इस विषय पर पार्टी के भीतर कोई औपचारिक चर्चा नहीं हुई है, लेकिन यदि स्थिति उत्पन्न होती है तो कांग्रेस संसदीय नियमों के तहत महाभियोग प्रस्ताव लाने पर विचार कर सकती है।
चुनाव आयोग ने आरोपों को भ्रामक बताया
इस बीच चुनाव आयोग ने विपक्ष के ‘वोट चोरी’ जैसे आरोपों को झूठा और भ्रामक करार देते हुए रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट किया कि न तो आयोग इन आरोपों से डरता है, और न ही भारत का मतदाता। आयोग ने जनता से अपील की कि वे अपने संवैधानिक अधिकार का प्रयोग करते हुए निर्भीक होकर मतदान करें। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने दोहराया कि आयोग पूरी निष्पक्षता और निडरता के साथ काम करता रहेगा और उसकी नजर में सभी राजनीतिक दल समकक्ष हैं। उन्होंने कहा कि आयोग का कर्तव्य है कि वह राजनीति से अप्रभावित रहते हुए सभी मतदाताओं को बराबरी का अवसर प्रदान करे।
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को दिए ये निर्देश
वोटर लिस्ट में गड़बड़ी को लेकर विपक्ष द्वारा उठाए गए सवालों के बीच आयोग ने जानकारी दी कि अब तक 28,370 मतदाताओं ने अपने दावे और आपत्तियां दर्ज कराई हैं। यह प्रक्रिया 1 अगस्त से 1 सितंबर तक चलेगी। बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राज्य में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) शुरू किया गया है, जिसका विपक्षी दलों द्वारा कड़ा विरोध किया जा रहा है। यह मुद्दा संसद के मानसून सत्र में भी गरमा चुका है और अब मामला सुप्रीम कोर्ट में है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दखल देते हुए चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि वह बिहार की मतदाता सूची से हटाए गए लगभग 65 लाख नामों का विवरण सार्वजनिक करे और यह स्पष्ट करे कि किन आधारों पर ये नाम हटाए गए। आयोग ने अदालत को आश्वासन दिया है कि वह इन निर्देशों का पालन करेगा।
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