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Bihar में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण पर विवाद, CEC ने कहा – सभी पात्रों को मिलेगा मताधिकार

बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर विवाद जारी है। विपक्षी दलों का आरोप है कि इस प्रक्रिया से करोड़ों मतदाता मताधिकार से वंचित हो सकते हैं। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा है कि पुनरीक्षण पूरी पारदर्शिता के साथ हो रहा है।

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Jyoti Yadav
Controversy over special intensive revision of voter list in Bihar
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पटना, वाईबीएन डेस्क | बिहारमें मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को विवाद जारी है। इसी विवाद के बीच मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार ने इसको लेकर एक बयान में कहा कि इस प्रक्रिया से यह सुनिश्चित होगा कि सभी पात्र लोगों के नाम मतदाता सूची में शामिल हों। उन्होंने यह भी कहा कि 22 वर्ष के अंतराल के बाद किया जा रहा पुनरीक्षण सभी राजनीतिक दलों की सक्रिय भागीदारी के साथ तय कार्यक्रम के अनुसार जारी है। 

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पुनरीक्षण का क्रियान्वयन पारदर्शी होगा 

कई विपक्षी दलों ने दावा किया है कि इस प्रक्रिया से कई लोग मताधिकार से वंचित हो जाएंगे। विपक्षी दलों के इस दावे के बीच सीईसी ने गहन पुनरीक्षण का बचाव किया। बूथ स्तर के अधिकारियों के एक समूह को संबोधित करते हुए कुमार ने कहा कि बिहार में पुनरीक्षण का क्रियान्वयन पारदर्शी तरीके से सभी चुनाव कर्मियों और सभी राजनीतिक दलों की सक्रिय भागीदारी के साथ तय कार्यक्रम के अनुसार जारी है। 

मताधिकार से वंचित होंगे मतदाता 

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सीईसी ने कहा, "कुछ लोगों की आशंकाओं के बावजूद एसआईआर यह सुनिश्चित करेगा कि सभी पात्र लोगों के नाम सूची में शामिल हों।" ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल दलों के कई नेताओं ने  विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर निर्वाचन आयोग से मुलाकात की थी और यह कवायद कराने के समय को लेकर चिंता जताई थी। उन्होंने दावा किया था कि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले की जा रही इस बड़ी कवायद से बिहार के दो करोड़ से अधिक मतदाता मताधिकार से वंचित हो सकते हैं। 

इन राज्यों में भी होंगे चुनाव 

आयोग का कहना है कि वह इस साल बिहार की तरह छह राज्यों में मतदाता सूचियों की गहन समीक्षा करेगा ताकि जन्म स्थान की जांच करके विदेशी अवैध प्रवासियों को बाहर निकाला जा सके। बिहार में इस साल के अंत में चुनाव होने हैं, जबकि पांच राज्यों - असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव 2026 में होने हैं। बांग्लादेश और म्यांमा से आने वाले अवैध प्रवासियों के खिलाफ विभिन्न राज्यों में की जा रही कार्रवाई के मद्देनजर यह कवायद महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

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