नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह आज लोकसभा में सहकारी विश्वविद्यालय विधेयक पेश करेंगे। बुधवार को बजट सत्र का तीसरा दिन है। आज संसद में बजट सत्र के दूसरे चरण में तीसरे दिन तीन अहम विधेयकों पर चर्चा होगी। इनमें सहकारी विश्वविद्यालय विधेयक के अलावा तेल क्षेत्र विनियमन और विकास संसोधन विधेयक और समुद्री मार्ग में माल परिवहन विधेयक रखा जाएगा। राज्यसभा में आज रेलवे के कामकाज पर चर्चा होगी। हालांकि वोटर लिस्ट परिसीमन और तीन भाषा विवाद के चलते सदन में कितना काम हो पाएगा, यह देखने वाली बात होगी।
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राष्ट्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना का है प्रावधान
इस विधेयक में सहकारी समितियों के प्रबंधन, पर्यवेक्षण और प्रशासनिक व तकनीकी परिचालन में योग्यता प्राप्त श्रम शक्ति के लिए राष्ट्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना का प्रावधान है। भारत सरकार ने सहकारिता क्षेत्र को कॉर्पोरेट सेक्टर के समान अवसर देने के लिए कर-नीति में समानता लाने की भी पहल की है। सरकार ने राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड (NCEL), राष्ट्रीय सहकारी ऑर्गेनिक लिमिटेड (NCOL) और भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड (BBSSL) जैसी संस्थाओं की स्थापना की है, जिससे निर्यात, जैविक कृषि और उन्नत बीजों को बढ़ावा मिलेगा।
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“सहकारिता से सहकार मॉडल लागू करने पर जोर”
विधेयक में सहकारी समितियों के विकास में क्षेत्रीय असमानता को दूर करने और ‘सहकारिता में सहकार’ मॉडल को देशभर में लागू करने पर जोर दिया गया है। विधेयक के लिए गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई समिति की बैठक में सदस्यों ने सहकारी आंदोलन को मजबूत करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना की थी। यह बैठक 12 फरवरी को बुलाई गई थी।
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राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में सभी भाषाओं में होगी पढ़ाई
सहकारिता को बढ़ावा देने के लिए त्रिभुवन राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में सभी क्षेत्रीय भाषाओं के साथ सभी भाषाओं में पढ़ाई होगी। इस विश्वविद्यालय में न केवल नए लोगोंं को प्रशिक्षण दिया जाएगा बल्कि इस क्षेत्र में काम कर रहे लोग प्रशिक्षण प्राप्त कर अपने कौशल को निखार सकेंगे। यह विश्वविद्यालय सहकारिता के क्षेत्र के कर्मचारियों का भी कौशल विकास करेगा। गुजरात में आणंद स्थित ग्रामीण प्रबंधन संस्थान को त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित कर राष्ट्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने का प्रावधान है।