भाषाई विवाद के बीच आज लोकसभा में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का दर्द छलक गया। शिवराज सिंह चौहान ने एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि मैं कोई आरोप नहीं लगा रहा हूं, जो हुआ वही बता रहा हूं। मैं दो बार तमिलनाडु गया, एक बार कृषि विभाग के काम से और दूसरी बार ग्रामीण विकास से जुड़े काम से तमिलनाडु में जाकर बैठक ली, लेकिन कोई सी भी बैठक संबंधित मंत्री या सरकार का कोई अन्य मंत्री मेरी बैठक में नहीं पहुंचा।
किसान सम्मान निधि के सवाल पर बोले शिवराज
अपना यह दर्द लोकसभा में मंगलवार को केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उस समय बयां किया जब तमिलनाडु से डीएमके सांसद एमएस थरानिवेंथन ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत ऑनलाइन भुगतान में देरी का मुद्दा उठाया। उन्होंने सरकार से पूछा था कि जब कुछ लाभार्थियों को महज एक घंटे के भीतर भुगतान हो जाता है, तो बाकी किसानों को समय पर पैसा क्यों नहीं मिल रहा।
बोले- तमिलनाडु के किसानों के लिए विशेष अभियान भी संभव
डीएमके सांसद के सवाल का जवाब देते हुए कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, "अगर कोई पात्र किसान अब तक वंचित है, तो वह पोर्टल पर जाकर अपना नाम अपडेट कर सकता है। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि उसे समय पर भुगतान मिले। तमिलनाडु में लगभग 14,000 किसानों की जानकारी राज्य सरकार को सत्यापित करनी है। नाम जोड़ने में कोई देरी नहीं होगी, और यदि आवश्यक हुआ तो तमिलनाडु के किसानों के लिए एक विशेष अभियान भी चलाया जा सकता है।"
बोले- तमिलनाडु के कृषि मंत्री पहल करें
तमिलनाडु में दो बार बैठक लेने के तजुर्बे का जिक्र करते हुए शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि केंद्र सरकार किसी के साथ भेदभाव नहीं करती। हम तमिलनाडु और वहां की भाषा व संस्कृति का सम्मान करते हैं। केंद्र सरकार किसानों को लाभ देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। हाल ही में मनरेगा के तहत 7,600 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई, जो अब तक की सबसे बड़ी राशि है। यदि कृषि विभाग से जुड़ा कोई भी नाम लंबित है, तो राज्य के कृषि मंत्री पहल करें या फिर मुझे बुला लें, मैं स्वयं तमिलनाडु आ जाऊंगा।"