Advertisment

Supreme Court: जस्टिस Yashwant Verma के खिलाफ FIR की मांग वाली याचिका खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए उसे खारिज कर दिया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को सलाह दी है।

author-image
Jyoti Yadav
एडिट
supreme court
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क | सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए उसे खारिज कर दिया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को सलाह दी है कि वह इस मामले में उचित संवैधानिक प्राधिकारियों- राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री से संपर्क करें।सुनवाई के दौरान अदालत को सूचित किया गया कि इस मामले से संबंधित जांच रिपोर्ट पहले ही भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) द्वारा राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को सौंप दी गई है। कोर्ट ने कहा कि चूंकि यह मामला उच्च संवैधानिक स्तर से जुड़ा है, इसलिए न्यायालय की सीधी हस्तक्षेप की भूमिका सीमित है।

Advertisment

प्राधिकारियों से संपर्क करने की सलाह

बेंच ने स्पष्ट किया कि वह जांच या कार्रवाई के लिए किसी स्वतंत्र एजेंसी को निर्देश नहीं दे सकती, क्योंकि रिपोर्ट पहले ही सर्वोच्च संवैधानिक अधिकारियों को भेज दी गई है। ऐसे में याचिकाकर्ता को निर्देश दिया गया कि वह आगे की कार्रवाई के लिए उन्हीं प्राधिकारियों से संपर्क करे। जस्टिस अभय एस. ओका और उज्जल भुइयां पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को पहले इस मामले को उचित प्राधिकरण के सामने उठाना चाहिए था। इसके बाद न्यायालय का दरवाजा खटखटाना चाहिए था। इस मामले की पहले ही इन-हाउस जांच रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजी जा चुकी है।

Advertisment

पीठ ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि अगर आप 'रिट ऑफ मंडमस’ चाहते हैं, तो पहले आपको उन अधिकारियों के समक्ष आवेदन देना होगा, जिनके समक्ष यह मामला विचाराधीन है। याचिकाकर्ता वकील नेदुमपारा ने कोर्ट को बताया कि नकदी की बरामदगी भारतीय न्याय संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एक संज्ञेय अपराध है। ऐसे में पुलिस को इस मामले में आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया

इससे पहले भी याचिकाकर्ता वकील नेदुमपारा ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, लेकिन तब कोर्ट ने याचिका को समय से पहले बताते हुए खारिज कर दिया था। तब यह मामला जांच समिति के समक्ष विचाराधीन भी था, लेकिन अब इसकी जांच पूरी हो चुकी है, जिसे देखते हुए याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। वहीं, इन-हाउस जांच समिति ने जस्टिस वर्मा को दोषी ठहराया था, जिसके बाद चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने उन्हें इस्तीफा देने के लिए कह दिया था। लेकिन, जस्टिस वर्मा ने इस्तीफा देने से साफ इनकार कर दिया था। इसके बाद इस मामले में नाम सामने आने के बाद जस्टिस वर्मा को दिल्ली हाईकोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया था। इसके बाद चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने इस मामले में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखा था।

Advertisment

बता दें कि यशवंत वर्मा 14 मार्च को उस वक्त चर्चा में आए थे, जब उनके सरकारी आवास के स्टोररूम में आग लगने के बाद भारी नकदी की बरामदगी की बात सामने आई थी। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है।

yashwant verma | Justice yashwant verma

Justice yashwant verma yashwant verma
Advertisment
Advertisment