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PM मोदी ने शिबू सोरेन को दी श्रद्धांजलि, परिवार से मिलकर व्यक्त की संवेदनाएं | यंग भारत न्यूज Photograph: (X.com)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । आज सोमवार 4 अगस्त 2025 को प्रधानमंत्री मोदी ने शिबू सोरेन को दी श्रद्धांजलि, बोले- जनजातीय कल्याण के लिए किया जीवन समर्पित। गंगाराम अस्पताल पहुंचकर दुख की घड़ी में परिवार का बढ़ाया हौसला। जानें कैसे 'गुरुजी' ने झारखंड के आदिवासियों के लिए एक नई अलख जगाई।
झारखंड की राजनीति के दिग्गज और जनजातीय समाज के मसीहा कहे जाने वाले शिबू सोरेन का जाना सिर्फ एक युग का अंत नहीं, बल्कि एक आंदोलन का थम जाना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के गंगाराम अस्पताल पहुंचकर शिबू सोरेन को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने न सिर्फ 'गुरुजी' के अंतिम दर्शन किए, बल्कि उनके बेटे और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सहित पूरे परिवार से मिलकर संवेदनाएं भी व्यक्त कीं। पीएम मोदी का वहां पहुंचना शिबू सोरेन के कद और उनके योगदान को दर्शाता है।
पीएम मोदी ने नम आंखों से गहरा दुख जताते हुए कहा कि शिबू सोरेन का पूरा जीवन जनजातीय समाज के कल्याण के लिए समर्पित था। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि शिबू सोरेन को हमेशा उनके संघर्ष और आदिवासियों के हक के लिए किए गए प्रयासों के लिए याद किया जाएगा। उनका यह बयान शिबू सोरेन के उस लंबे सफर की कहानी कहता है, जो उन्होंने झारखंड के दूर-दराज इलाकों से शुरू किया था।
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झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन जी को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। दुख की इस घड़ी में उनके परिजनों से मिलकर अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं। उनका पूरा जीवन जनजातीय समाज के कल्याण के लिए समर्पित रहा, जिसके लिए वे सदैव याद किए जाएंगे।@HemantSorenJMM@JMMKalpanaSorenpic.twitter.com/ts5X0C3EiM
— Narendra Modi (@narendramodi) August 4, 2025
शिबू सोरेन को लोग प्यार से 'गुरुजी' कहते थे। यह नाम सिर्फ एक संबोधन नहीं, बल्कि उनके द्वारा किए गए त्याग और संघर्ष का प्रतीक है। उन्होंने अपने जीवन का बड़ा हिस्सा झारखंड के आदिवासियों को उनके हक दिलाने में लगा दिया। महाजनी प्रथा के खिलाफ उनके आंदोलन और अलग झारखंड राज्य के लिए उनकी लड़ाई आज भी इतिहास में दर्ज है। शिबू सोरेन ने दिखाया कि एक व्यक्ति किस तरह अपने समुदाय के लिए सब कुछ न्यौछावर कर सकता है।
झारखंड की राजनीति पर शिबू सोरेन की अमिट छाप
शिबू सोरेन की राजनीति सिर्फ चुनाव जीतने तक सीमित नहीं थी। उनका लक्ष्य आदिवासियों के बीच शिक्षा, जागरूकता और आत्मनिर्भरता लाना था। उनके प्रयासों से ही आज झारखंड के जनजातीय समाज में एक नई चेतना आई है। उन्होंने न सिर्फ राज्य की राजनीति को दिशा दी, बल्कि केंद्र की राजनीति में भी अपनी एक अलग पहचान बनाई। उनके निधन से झारखंड की राजनीति में एक खालीपन आ गया है, जिसे भरना शायद मुश्किल होगा।
प्रधानमंत्री मोदी के गंगाराम अस्पताल पहुंचने की खबर ने कई लोगों को भावुक कर दिया। यह दिखाता है कि राजनीति से परे भी व्यक्तिगत सम्मान और संबंधों की अपनी अहमियत होती है। पीएम मोदी ने शिबू सोरेन के निधन पर जो दुख जताया, वह सिर्फ एक राजनेता का दूसरे राजनेता के लिए नहीं, बल्कि एक साधारण इंसान का दूसरे इंसान के प्रति था। यह सम्मान ही शिबू सोरेन को एक महान नेता बनाता है।
उनका जाना झारखंड के लिए एक बड़ी क्षति है। शिबू सोरेन का संघर्ष और उनका जीवन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बना रहेगा। उन्हें हमेशा जनजातीय समाज के मसीहा के रूप में याद किया जाएगा।
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