कर्नाटक के बेंगलुरु में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की तीन दिवसीय बैठक जारी है। इस दौरान आरएसएस के संयुक्त महासचिव अरुण कुमार ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नए अध्यक्ष को लेकर बयान दिया है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में प्रक्रिया जारी है और उचित समय पर सही जानकारी सामने आ जाएगी। उन्होंने कहा कि संघ के काम का एक सतत भाग है समीक्षा और मूल्यांकन। हम हमेशा कार्य विस्तार और गुणात्मकता पर जोर देते हैं। कार्य की भी कार्यकर्ता की भी।
संघ का उद्देश्य है समाज परिवर्तन
आरएसएस के संयुक्त महासचिव अरुण कुमार ने तीन दिवसीय बैठक के अंतिम दिन रविवार को अपने संबोधन में कहा कि संघ का मूल उद्देश्य समाज सुधार है, ट्रांसफोर्म द सोसायटी। मूलतः संघ कोई संगठन भर नहीं है बल्कि समाज परिवर्तन का यह बड़ा जनांदोलन है। हम इसी उद्देश्य से काम करते हैं। समाज परिवर्तन नियम कानूनों से नहीं आता है, इसके लिए वातावरण बनाना पड़ता है। सतत प्रयास करना पड़ता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में संघ का बढ़ता प्रभाव
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ग्रामीण क्षेत्रों में अपने कार्यों पर विशेष ध्यान केंद्रित कर रहा है। पिछले वर्ष की तुलना में संघ ने 3,000 नई शाखाएं स्थापित की हैं। शताब्दी विस्तार कार्यक्रम के तहत 2,453 कार्यकर्ताओं ने दो वर्षों तक लगातार सेवा का दायित्व संभाला है। संगठन में युवाओं की भागीदारी तेजी से बढ़ रही है, जिससे संघ लगातार युवा बना हुआ है। वर्तमान में संघ की 89,706 सेवा गतिविधियां सक्रिय हैं, जिनमें 40,000 शिक्षा, 17,000 स्वास्थ्य और 20,000 सामाजिक जागरूकता से जुड़ी हैं।
मणिपुर की स्थिति पर संघ की चिंता
राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा के दौरान संघ ने महाकुंभ आयोजन को हिंदू समाज के आत्मविश्वास को बढ़ाने वाला बताया और केंद्र एवं उत्तर प्रदेश सरकार की सराहना की। मणिपुर की स्थिति को लेकर संघ ने चिंता व्यक्त की, जहां पिछले 20 महीनों से अशांति का माहौल है। संगठन ने कहा कि केंद्र सरकार के प्रशासनिक और राजनीतिक निर्णयों ने मणिपुर के लोगों में उम्मीद जगाई है। संघ के कार्यकर्ता उत्तर और दक्षिण भारत को विभाजित करने वाली शक्तियों पर नजर बनाए हुए हैं और सामाजिक समरसता के लिए प्रयासरत हैं।
डिलिमिटेशन पर संघ का रुख
सीमा पुनर्निर्धारण (डिलिमिटेशन) के मुद्दे पर संघ ने इसे राजनीति से प्रेरित बताया है। केंद्रीय गृह मंत्री ने स्पष्ट किया है कि विस्तार मौजूदा अनुपात के अनुसार ही होगा और अन्य आरोप राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित हैं। संघ ने आपसी झगड़ों को देश के लिए हानिकारक बताया है। बैठक में बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ एक प्रस्ताव लाने का निर्णय लिया गया।
मातृभाषा को सर्वोपरि बताया
संगठन ने मातृभाषा को सर्वोपरि बताया है और स्पष्ट किया कि उसने कभी तीन-भाषा फॉर्मूला (थ्री लैंग्वेज फॉर्मूला) पर प्रस्ताव पारित नहीं किया। संघ का मानना है कि मातृभाषा के साथ-साथ नौकरी और कामकाज के लिए अन्य भाषाओं का ज्ञान भी आवश्यक है।