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Photograph: (google )
दिल्ली वाईबीएन नेटवर्क: भारतीय राजनीति में दो विरोधी पार्टियों भाजपा और कांग्रेस (BJP & Congress) जिनको राजनीति का दक्षिणी और उत्तरी ध्रुव कहा जाता है। ऐसा माना जाता है की इनका एक साथ होना लगभग असंभव है। लेकिन कहते हैं न कि राजनीति में सबकुछ संभव है, दो कट्टर प्रतिद्वंद्वी रातों-रात अच्छे दोस्त बन जाते हैं और दोस्त दुश्मन बन जाते हैं।
भारतीय राजनीति में इसके कई उदाहरण हैं, चाहे वो उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा का गठबंधन हो या महाराष्ट्र में कांग्रेस-शिवसेना का और इसका ताजा उदाहरण है कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का विचित्र गठबंधन। लोकसभा चुनाव में तो दोनों ने दोस्ती दिखाई, लेकिन हरियाणा, पंजाब और दिल्ली के विधानसभा चुनाव में दोनों एक दूसरे के कट्टर विरोधी बन गए।
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भाजपा और कांग्रेस का गठबंधन
ये तो हुई दूसरी पार्टियों की बात लेकिन जब बात कांग्रेस और बीजेपी की आती है तो दोनों एक दूसरे की धुर विरोधी नजर आती हैं। लेकिन अगर हम आपसे कहें कि इन दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन है और ये दोनों पार्टियां देश के एक राज्य में गठबंधन सरकार चला रही हैं तो आप सोच रहे होंगे कि ये दोनों पार्टियां एक दूसरे की धुर विरोधी हैं।
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मेघालय में दो पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक दल कांग्रेस और भाजपा अब एक ही गठबंधन में हैं। मेघालय में अम्पारीन लिंगदोह के नेतृत्व में कांग्रेस के सभी पांच विधायकों ने मुख्यमंत्री कोनराड संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के नेतृत्व वाले गठबंधन को समर्थन दिया है।
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अब यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि बीजेपी मेघालय में नेशनल पीपुल्स पार्टी के नेतृत्व वाली एमडीए का समर्थन कर रही है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि दो राजनीतिक दल सत्ता के लिए कोई भी हथकंडा अपनाने से नहीं कतराते। चाहे देश की दो सबसे बड़ी पार्टियां हों या किसी राज्य की छोटी पार्टी. राजनीतिक पंडित कांग्रेस और बीजेपी के बीच किसी गठबंधन की संभावना नहीं मानते, लेकिन मेघालय की राजनीति ने पूरा खेल बदल दिया है।