पटना, वाईबीएन नेटवर्क।
बिहार विधानमंडल का बहुप्रतीक्षित बजट सत्र आज से प्रारंभ हो गया, लेकिन राजनीतिक गलियारों में सबसे ज्यादा चर्चा राजद नेता डॉ. सुनील कुमार सिंह की सदस्यता को लेकर हो रही है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनकी विधान परिषद की सदस्यता बहाल करने का आदेश दिए 72 घंटे बीत चुके हैं, लेकिन अब तक विधान परिषद सचिवालय ने इस संबंध में कोई अधिसूचना जारी नहीं की है।
पहले दिन सदन में नहीं दिखे सुनील सिंह
आज जब विधानमंडल के दोनों सदनों के सदस्य विधानसभा पहुंचे, तो राजद नेता सुनील सिंह की गैरमौजूदगी ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया। न्याय की लड़ाई जीतने के बावजूद वे बजट सत्र के पहले दिन सदन में अपनी सीट पर नहीं दिखे। इसे लेकर राजनीतिक गलियारों में अटकलें तेज हो गई हैं कि क्या सरकार जानबूझकर कोर्ट के आदेश को नजरअंदाज कर रही है?
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सत्र से पहले सभापति को लिखा था पत्र
बजट सत्र से ठीक पहले, सुनील सिंह ने विधान परिषद के सभापति को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आलोक में उनकी सदस्यता बहाल करने की अधिसूचना जारी की जाए, ताकि वे 28 फरवरी से प्रारंभ हो रहे सत्र में भाग ले सकें। उन्होंने अपने पत्र में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया कि यह लोकतंत्र और संविधान की मर्यादा का सवाल है। गौरतलब है कि सुनील सिंह की सदस्यता पिछले शीतकालीन सत्र में रद्द कर दी गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे लोकतंत्र की हत्या करार देते हुए बहाल करने का आदेश दिया। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सुनील सिंह की टिप्पणियां भले ही अशोभनीय रही हों, लेकिन उनकी तुलना में दी गई सजा अत्यधिक कठोर थी।
राजद ने उठाया सरकार पर सवाल
इस मुद्दे पर राजद के मुख्य प्रवक्ता शक्ति सिंह ने विधान परिषद सचिवालय पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि "अब तक परिषद सचिवालय ने डॉ. सुनील सिंह की सदस्यता बहाली की अधिसूचना क्यों नहीं जारी की? सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना करना न्यायिक अवमानना है। लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ जाकर सरकार राजनीति कर रही है।"
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"मैं सौ पद कुर्बान कर सकता हूं, लेकिन अन्याय के खिलाफ खड़ा रहूंगा!"- सुनील
राजद के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष डॉ. सुनील सिंह ने पार्टी कार्यालय में बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन में भावुक बयान देते हुए कहा कि "मैं किसानों और मजदूरों की आवाज उठाता रहूंगा। सुप्रीम कोर्ट ने मेरी सदस्यता बहाल कर संविधान और लोकतंत्र की रक्षा की है। राजद ने मेरी न्याय की लड़ाई में हमेशा साथ दिया है। मैं न्याय के लिए सौ पद कुर्बान कर सकता हूं, लेकिन अन्याय के आगे झुकूंगा नहीं!"
विधान परिषद सचिवालय पर नजर
अब सभी की नजरें विधान परिषद सचिवालय पर हैं कि क्या सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करेगी या इसे और लंबा खींचेगी? क्या सुनील सिंह को इस बजट सत्र में अपनी सीट पर बैठने का अधिकार मिलेगा? या फिर यह मामला एक नए राजनीतिक संघर्ष की ओर बढ़ेगा? फिलहाल, बिहार की राजनीति में यह मुद्दा नए विवाद की ओर इशारा कर रहा है और सत्ता पक्ष पर दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है।