नई दिल्ली, आईएएनएस । कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने पाकिस्तान को आतंकवाद की जननी बताया। शनिवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि पाकिस्तान पिछले 45 वर्षों से भारत के खिलाफ आतंकवादियों को तैयार करके अपने नापाक मंसूबों को धरातल पर उतारने का काम कर रहा है। पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ एक ताना-बाना बुनने का काम किया है, जिसे हमने समय-समय पर विफल भी किया है, लेकिन हर बार विफल रहने के बाद भी उसकी अक्ल ठिकाने नहीं आई है। अब समय आ चुका है कि पाकिस्तान को पूरी दुनिया के सामने बेनकाब किया जाए। सुप्रिया सुले की अगुआई वाले सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में मनीष तिवारी भी शामिल हैं।
समय रहते अंकुश नहीं लगाया तो सभी के लिए पाकिस्तान बनेगा विपदा
सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का उद्देश्य बताते हुए मनीष ने कहा कि हम अलग-अलग देशों में जाकर उन्हें बताएंगे कि किस तरह से पाकिस्तान अपने यहां आतंकवादियों को तैयार कर भारत में अशांति फैलाना चाहता है। इस बार हम पूरी दुनिया के सामने पाकिस्तान का असली चेहरा लाकर रहेंगे और उन्हें बताएंगे कि पाकिस्तान अब न सिर्फ भारत, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया के लिए खतरा बन चुका है। अगर समय रहते इस पर अंकुश नहीं लगाया गया, तो यह आने वाले दिनों में हम सभी के लिए एक बड़ी विपदा बन सकता है।
ट्रेनिंग देने के बाद आतंकी को भारत भेजता है
उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान अपने यहां आतंकवादियों को तैयार कर रहा है। उन्हें ट्रेनिंग देता है, उसके बाद उन्हें भारत भेजता है। उसे कई बार चेताया गया कि वह भारत के खिलाफ आतंकी कृत्यों को बंद करे, लेकिन वह अभी तक अपनी हरकतों से बाज नहीं आया है।
33 देशों में जाकर ऑपरेशन सिंदूर का औचित्य बताएगा प्रतिनिधिमंडल
सुप्रीया सुले की अगुआई वाले सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य के रूप में मनीष कतर, दक्षिण अफ्रीका, इथियोपिया और मिस्र जा रहे हैं। इस प्रतिनिधिमंडल में भाजपा नेता राजीव प्रताप रूडी, भाजपा नेता अनुराग ठाकुर, भाजपा नेता तेजस्वी सूर्या, कांग्रेस नेता आनंद शर्मा और पूर्व राजनयिक सैयद अकबरुद्दीन भी शामिल हैं।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने पाकिस्तान को पूरी दुनिया के सामने बेनकाब करने का फैसला किया है। इसके लिए भारत ने सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को 33 अलग-अलग देशों में भेजने का फैसला किया है, जहां पाकिस्तान का काला चिट्ठा खोला जाएगा। इसके अलावा, भारत की तरफ से पूरी दुनिया को यह भी बताया जाएगा कि पाकिस्तान के खिलाफ 'ऑपरेशन सिंदूर' जैसा कदम उठाना क्यों जरूरी था?