नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
Congress ने
वक्फ (संशोधन) विधेयक को संविधान पर "हमला" बताते हुए आरोप लगाया कि यह BJP की सामाजिक सद्भाव को नुकसान पहुंचाने की रणनीति का हिस्सा है। पार्टी ने कहा कि यह विधेयक अल्पसंख्यक समुदायों को बदनाम करने और उनके खिलाफ पूर्वाग्रह फैलाने की भाजपा की कोशिशों का हिस्सा है।
जयराम रमेश बोले- अत्यंत दोषपूर्ण है विधेयक
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने इसे "अत्यंत दोषपूर्ण" विधेयक करार दिया। उन्होंने कहा कि यह विधेयक बहु-धार्मिक समाज में सदियों पुराने सामाजिक सौहार्द को कमजोर करने के लिए लाया गया है। रमेश ने आरोप लगाया कि
भाजपा इस कानून के जरिए संवैधानिक प्रावधानों को कमजोर करना चाहती है, जो सभी धर्मों के नागरिकों को समान अधिकार और सुरक्षा की गारंटी देते हैं।
ध्रुवीकरण को धार देने का आरोप लगाया
जयराम रमेश ने दावा किया कि विधेयक का उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदायों की परंपराओं और संस्थाओं को निशाना बनाकर समाज का ध्रुवीकरण करना है, ताकि भाजपा को चुनावी लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि विधेयक पांच प्रमुख वजहों से गंभीर रूप से दोषपूर्ण है।
वक्फ प्रबंधन के अधिकार छीनने का प्रयास
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि
वक्फ प्रबंधन के लिए बने संस्थानों की स्थिति और अधिकार को कमजोर करने की कोशिश की गई है, ताकि अल्पसंख्यक समुदायों को उनके धार्मिक संस्थानों के प्रशासनिक अधिकार से वंचित किया जा सके। उन्होंने कहा कि वक्फ उद्देश्यों के लिए भूमि दान करने के नियमों को जानबूझकर अस्पष्ट बनाया गया है, जिससे वक्फ की परिभाषा ही बदल गई है।
वक्फ प्रशासन को कमजोर करने के लिए बदलाव
जयराम रमेश ने कहा कि विधेयक में वक्फ के कंसेप्ट को समाप्त किया जा रहा है, जिसे न्यायपालिका ने लंबे समय से मान्यता दी थी। यह प्रावधान उन संपत्तियों को वक्फ मानता था, जिन्हें धार्मिक उद्देश्यों के लिए लंबे समय तक उपयोग किया गया हो। उन्होंने आरोप लगाया कि वक्फ प्रशासन को कमजोर करने के लिए मौजूदा कानूनों के प्रावधान हटाए जा रहे हैं और वक्फ की जमीनों पर अतिक्रमण करने वालों को संरक्षण देने के लिए नए सुरक्षा उपाय जोड़े जा रहे हैं।
संसदीय प्रक्रिया के उल्लंघन का भी आरोप
रमेश ने यह भी कहा कि वक्फ संपत्तियों के विवादों में जिलाधिकारी और राज्य सरकार के अधिकारियों को व्यापक अधिकार दिए गए हैं, जिससे वे बिना किसी निर्णायक फैसले के वक्फ की मान्यता रद्द कर सकते हैं। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि इस विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में अनुच्छेद-दर-अनुच्छेद चर्चा के बिना ही जबरन पारित किया गया, जो संसदीय प्रक्रियाओं का उल्लंघन है।