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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। नागपुर में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने भव्य मार्च निकाला, जिसे लेकर सियासत गरमा गई है और कांग्रेस ने RSS को घेरना शुरू कर दिया है। पथ संचलन का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें स्वयं सेवक हाथ में डंडा लेकर पथ संचलन कर रहे हैं, इसे लेकर कांग्रेस ने हमला बोला है और कहा है कि इस पूरे मार्च में एक भी तिरंगा नहीं दिखा।
कांग्रेस ने साधा संघ पर निशाना
कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा, "नागपुर में RSS ने एक मार्च निकाला। इस पूरे मार्च में एक भी तिरंगा नहीं दिखा। इन्हीं संघियों ने आज़ादी के 53 साल बाद तक तिरंगे का बहिष्कार किया था। आज भी कर रहे हैं। यह तिरंगा हमारी आन बान शान है। इस तिरंगे में हमारे पुरखों का खून शामिल है। यह बात RSS कभी नहीं समझ सकता।"
नागपुर में RSS ने एक मार्च निकाला
— Supriya Shrinate (@SupriyaShrinate) May 26, 2025
इस पूरे मार्च में एक भी तिरंगा नहीं दिखा
इन्हीं संघियों ने आज़ादी के 53 साल बाद तक तिरंगे का बहिष्कार किया था
आज भी कर रहे हैं
यह तिरंगा हमारी आन बान शान है
इस तिरंगे में हमारे पुरखों का खून शामिल है
यह बात RSS कभी नहीं समझ सकता pic.twitter.com/AewJSgOwT3
पथ संचलन की परंपरा
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की परंपरा है कि गणवेश में डंडा हाथ में रखकर पथ संचलन किया जाता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का पथ संचलन एक ऐसी गतिविधि है, जिसमें संघ के सदस्य एक व्यवस्थित तरीके से चलते हैं और एक साथ व्यायाम करते हैं। कांग्रेस मौका देखकर इस पर संघ को घेर रही है। संघ के मुताबिक, पथ संचलन एक संगठनात्मक गतिविधि है, न कि कोई सरकारी परेड या राष्ट्रीय कार्यक्रम। यही वजह है कि इसमें तिरंगा शामिल नहीं किया जाता है।
संघ का झंडा और तिरंगा विवाद
संघ का स्वयं का ध्वज है- केसरिया (भगवा) रंग का झंडा, जिसे "गुरु" के रूप में माना जाता है। यह झंडा संघ की स्थापना (1925) से ही उपयोग में है। संघ इसे भारतीय संस्कृति, त्याग, बलिदान, और वीरता का प्रतीक मानता है। 2002 में संघ मुख्यालय (नागपुर) में पहली बार 26 जनवरी को तिरंगा फहराया गया। संघ पर यह आरोप लंबे समय तक लगाया गया कि वह तिरंगे का विरोध करता है, लेकिन संघ ने यह स्पष्ट किया है कि वह तिरंगे का सम्मान करता है और उसका विरोध नहीं करता।
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