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समर्पित व कर्मठ संघ के स्वयंसेवक से उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार तक कैसे पहुंचे सीपी राधाकृष्णन

राधाकृष्णन को 'तमिलनाडु का मोदी' या 'कोयंबटूर का वाजपेयी' कहा जाता है, जो उनकी लोकप्रियता दर्शाता है। राधाकृष्णन का सफर समर्पण और सिद्धांतों पर आधारित है। आरएसएस से शुरू होकर राज्यपाल और उपराष्ट्रपति पद तक, उन्होंने दक्षिण भारत में भाजपा को मजबूत किया। 

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Mukesh Pandit
Radhakrishnan
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की ओर से उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार नामित हुए चंद्रपुरम पोनुसामी राधाकृष्णन, बालिग होने से पहले ही जनसंघ में शामिल हो गए थे। लालकिले की प्राचीर से अपने संबोधन में जिस तरह प्रधानमंत्री ने संघ का जिक्र किया और अब संघ की पृष्ठभूमि से जुड़े राधाकृष्णन का नाम उपराष्ट्रपति पद के लिए नामित किया गया, उससे यह तस्वीर एकदम साफ हो गई है कि कहीं न कहीं संघ से भी उनके नाम को हरी झंडी मिली है। राधाकृष्णन को 'तमिलनाडु का मोदी' या 'कोयंबटूर का वाजपेयी' कहा जाता है, जो दक्षिण भारत में उनकी लोकप्रियता का सूचक भी है।

दक्षिण भारतीय राजनीति में एक प्रमुख नाम

सीपी राधाकृष्णन भारतीय राजनीति खासतौर से दक्षिण भारतीय राजनीति में एक प्रमुख नाम हैं और तमिलनाडु भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष का पद संभाल चुके हैं। वर्तमान में वे महाराष्ट्र के 24वें राज्यपाल के रूप में कार्यरत हैं उनका जन्म 20 अक्टूबर 1957 को तमिलनाडु के तिरुपुर में हुआ था। उन्होंने वीओ चिदंबरम कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की और पेशे से कृषक हैं। उनकी पत्नी आर. सुमति हैं। राधाकृष्णन का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से गहरा जुड़ाव है, जो उनकी विचारधारा और करियर की नींव रहा है। 

Cp Radha Krishnan with modi

बालिग होने से पहले ही राजनीति में आए

राधाकृष्णन की राजनीति में शुरूआत बहुत कम उम्र में हुई। मात्र 16 वर्ष की आयु में, वर्ष 1973 में, उन्होंने जनसंघ (जो बाद में भारतीय जनता पार्टी बन गया) और आरएसएस से जुड़कर सार्वजनिक जीवन की शुरुआत की। उस समय तमिलनाडु में द्रविड़ पार्टियों का वर्चस्व था, लेकिन राधाकृष्णन ने हिंदू राष्ट्रवादी विचारधारा को अपनाया। आरएसएस के स्वयंसेवक के रूप में उन्होंने आधारभूत स्तर पर काम किया, जो उनकी राजनीतिक परिपक्वता का आधार बना। 

आरएसएस से उनका संबंध आजीवन 

 वे आरएसएस के विचारों को बढ़ावा देने वाले कई आंदोलनों में सक्रिय रहे, जैसे कि 2012 में मेट्टुपालयम में आरएसएस कार्यकर्ता पर हमले के विरोध में गिरफ्तारी। आरएसएस की विचारधारा ने उन्हें सामाजिक न्याय, आतंकवाद विरोध और राष्ट्रीय एकता जैसे मुद्दों पर मजबूत बनाया। वे दक्षिण भारत में भाजपा के विस्तार में आरएसएस के माध्यम से महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे,

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जहां पार्टी की जड़ें कमजोर थीं। 1974 में राधाकृष्णन को भारतीय जनसंघ की राज्य कार्यकारी समिति का सदस्य बनाया गया, जो उनकी राजनीतिक यात्रा का पहला बड़ा कदम था। आपातकाल के दौरान (1975-1977) वे भूमिगत रहकर संघर्ष करते रहे, जो आरएसएस-जनसंघ कार्यकर्ताओं की सामान्य कहानी थी। 1980 के दशक में वे भाजपा के गठन के बाद पार्टी में सक्रिय हुए। 1996 में उन्हें तमिलनाडु भाजपा का सचिव नियुक्त किया गया, जो उनके नेतृत्व की शुरुआत थी।

कोयंबटूर लोकसभा सीट से जीत चुके हैं

राधाकृष्णन का प्रमुख राजनीतिक सफलता 1998 में आई, जब उन्होंने कोयंबटूर लोकसभा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव जीता। यह जीत 1998 के कोयंबटूर बम विस्फोटों के बाद आई, जहां उन्होंने 1.5 लाख से अधिक वोटों के अंतर से जीत दर्ज की। 1999 में वे फिर से चुने गए, हालांकि अंतर 55,000 वोटों का रहा। ये जीतें दक्षिण भारत में भाजपा की दुर्लभ सफलताएं थीं, खासकर जब पार्टी अकेले लड़ रही थी। वे 1998-2004 तक लोकसभा सदस्य रहे, जहां उन्होंने सार्वजनिक उपक्रम समिति और वित्त सलाहकार समिति में योगदान दिया। 2003 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 58वें सत्र में उन्होंने मानवीय सहायता पर भारत का प्रतिनिधित्व किया।

तमिलनाडु भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे

2003-2006 तक वे तमिलनाडु भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे। इस दौरान उन्होंने एक ऐतिहासिक 93-दिवसीय रथ यात्रा का नेतृत्व किया, जो तमिलनाडु के सभी विधानसभा क्षेत्रों को कवर करती थी। इस यात्रा का उद्देश्य नदियों को जोड़ना, छुआछूत मिटाना और आतंकवाद के खिलाफ जागरूकता फैलाना था। यह यात्रा भाजपा की दक्षिण में पहुंच बढ़ाने में महत्वपूर्ण रही।

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2004 के चुनावों में उन्होंने अन्नाद्रमुक के साथ गठबंधन किया, हालांकि पार्टी हार गई। 2004, 2014 और 2019 में वे कोयंबटूर से चुनाव लड़े लेकिन दूसरे स्थान पर रहे। 2014 में उन्होंने 3.89 लाख वोट प्राप्त किए, जो तमिलनाडु में भाजपा उम्मीदवारों में सर्वाधिक था। 2016-2020 तक वे सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय के तहत अखिल भारतीय खादी बोर्ड के अध्यक्ष रहे, जहां उन्होंने नारियल उद्योग को बढ़ावा दिया। 2020-2022 तक वे केरल भाजपा के प्रभारी थे, जहां पार्टी की स्थिति मजबूत करने में योगदान दिया।

झारखंड का राज्यपाल रहे

फरवरी 2023 में उन्हें झारखंड का राज्यपाल बनाया गया। यहां उन्होंने आदिवासी मुद्दों, शिक्षा और विकास पर फोकस किया। जुलाई 2024 में वे महाराष्ट्र के राज्यपाल बने, साथ ही तेलंगाना और पुडुचेरी के अतिरिक्त प्रभार संभाले। महाराष्ट्र में उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की सरकार के साथ काम किया। राधाकृष्णन को 'तमिलनाडु का मोदी' या 'कोयंबटूर का वाजपेयी' कहा जाता है, जो उनकी लोकप्रियता दर्शाता है। राधाकृष्णन का सफर संघर्ष, समर्पण और सिद्धांतों पर आधारित है। आरएसएस से शुरू होकर राज्यपाल और अब उपराष्ट्रपति पद तक, उन्होंने दक्षिण भारत में भाजपा को मजबूत किया। उनकी यात्रा युवा नेताओं के लिए प्रेरणा है, जहां विचारधारा राजनीतिक सफलता की कुंजी बनी। CP Radhakrishnan news | Vice President candidate BJP | CP Radhakrishnan political | Indian Politics 2025 

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