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अस्थिर नेपाल : जेन जेड समूह की संसद भंग कर संविधान में संशोधन की मांग, मरने वालों की संख्या बढ़कर 34 हुई

नेपाल में सरकार विरोधी प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रहे जेन जेड समूह ने बृहस्पतिवार को कहा कि संसद को भंग किया जाना चाहिए और लोगों की इच्छा को प्रतिबिंबित करने के लिए संविधान में संशोधन किया जाना चाहिए। 

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Mukesh Pandit
Nepal Parliament

काठमांडू, वाईबीएन डेस्क।नेपाल में सरकार विरोधी प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रहे जेन जेड समूह ने बृहस्पतिवार को कहा कि संसद को भंग किया जाना चाहिए और लोगों की इच्छा को प्रतिबिंबित करने के लिए संविधान में संशोधन किया जाना चाहिए। वहीं, प्रदर्शनों में मरने वालों की संख्या बढ़कर 34 हो गई है। प्रदर्शनकारियों ने अपने विचार व्यक्त करने के लिए यहां एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया, जबकि उनके कुछ प्रतिनिधि वर्तमान राजनीतिक संकट का समाधान खोजने के लिए सेना मुख्यालय में राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल और सेना प्रमुख अशोक राज सिगडेल के साथ विचार-विमर्श में व्यस्त थे। 

राजनीतिक दलों को चेताया, निहित स्वार्थों का इस्तेमाल बंद करें

वर्ष 1997 से लेकर 2012 तक के बीच जन्में युवाओं को प्राय: जेन जेड पीढ़ी के नाम से जाना जाता है। इस अवसर पर जेन जेड कार्यकर्ताओं ने बातचीत और सहयोग के माध्यम से समाधान खोजने की आवश्यकता पर बल दिया। जेन जेड समूह के प्रतिनिधि दिवाकर दंगल, अमित बनिया और जुनल दंगल ने प्रेस वार्ता को संबोधित किया। उन्होंने पुराने राजनीतिक दलों को चेताया कि वे अपने निहित स्वार्थों के लिए उनका इस्तेमाल न करें। एक कार्यकर्ता ने कहा, "यह पूरी तरह से नागरिक आंदोलन है, इसलिए इसमें राजनीति करने की कोशिश न करें।" 

कहा, आत्म-सम्मान बनाए रखने की चुनौती 

दंगल ने कहा, "हमारे सामने राष्ट्रीय संप्रभुता, एकता की रक्षा और आत्म-सम्मान बनाए रखने की चुनौती है। हम सभी नेपालियों को इस कठिन परिस्थिति में नेपाली जनता के कल्याण और हितों की रक्षा के लिए एकजुट होना चाहिए।" एक अन्य कार्यकर्ता ने कहा कि संसद को भंग कर देना चाहिए और लोगों की भावना के अनुसार संविधान में संशोधन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "हमारा संविधान को ख़त्म करने का कोई इरादा नहीं है, लेकिन हम चाहते हैं कि लोगों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए कुछ बड़े संशोधन किए जाएं।" 

प्रधानमंत्री के नाम पर एक राय नहीं

कुछ कार्यकर्ताओं ने नए प्रधानमंत्री पद के लिए पूर्व प्रधान न्यायाधीश सुशीला कार्की का समर्थन किया, जबकि अन्य ने नेपाल विद्युत प्राधिकरण के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) कुलमन घीसिंग का समर्थन किया। एक अन्य कार्यकर्ता ने कहा कि उनका देश का नेतृत्व संभालने का कोई इरादा नहीं है, बल्कि वे सिर्फ़ एक प्रहरी बनना चाहते हैं। उन्होंने कहा, "हम सरकार में भाग नहीं लेंगे, बल्कि एक प्रहरी बने रहना चाहते हैं।" 

अस्पतालों में 1,338 लोग भर्ती 

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इस बीच, स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि सोमवार और मंगलवार को हुए जबरदस्त विरोध प्रदर्शनों में अब तक 34 लोगों की मौत हो चुकी है। मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देशभर के अस्पतालों में 1,338 लोग भर्ती हैं, जबकि 949 को पहले ही छुट्टी दे दी गई है। नेपाल में राजनीतिक संकट तब पैदा हो गया था जब मंगलवार को भारी विरोध प्रदर्शनों के बीच ओली ने इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद नेपाल की सेना ने कानून-व्यवस्था संभाल ली। 

नेपाल छोड़ने की कोशिश कर रहे लोग

हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद सेना द्वारा व्यवस्था बहाल करने की कोशिशों के बीच सैकड़ों लोग नेपाल छोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। काठमांडू में नेपाल के मुख्य एयरपोर्ट पर गुरुवार को सैकड़ों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी, जिससे देश से बाहर जाने के लिए उड़ान भर सकें। देश में हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद इस देश पर शासन कौन करेगा, इस पर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। बुधवार देर रात एयरपोर्ट के फिर से खुलने और बृहस्पतिवार को अंतरराष्ट्रीय उड़ानें फिर से शुरू होने के बाद कई लोगों ने देश छोड़ने की कोशिश की।  Nepal Protests 2025 | nepal protests | nepal protest | nepal protest news | nepal protests china 

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