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RJD- विरासत की दौड़ में कैसे सबसे आगे निकले Tejashwi Yadav, क्या बढ़ाएंगे नीतीश कुमार की मुश्किलें?

Bihar Politics: राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की कमान अब तेजस्वी यादव के हाथों में होगी। मीसा भारती, रोहिणी आचार्य और तेज प्रताप को पीछे छोड़ते हुए तेजस्वी यादव को आरजेडी की बागडोर सौंपी गई है।

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Pratiksha Parashar
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पटना, वाईबीएन नेटवर्क। 

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Bihar Politics: राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की कमान अब तेजस्वी यादव के हाथों में होगी। हालांकि, राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर फिलहाल लालू यादव ही बने रहेंगे। मीसा भारती, रोहिणी आचार्य और तेज प्रताप को पीछे छोड़ते हुए तेजस्वी यादव को आरजेडी की बागडोर सौंपी गई है। इसके लिए आरजेडी के संविधान में बदलाव किया गया है। ये बदलाव राष्ट्रीय जनता दल में परिवर्तन का संकेत माना जा रहा है।

लालू की विरासत संभालेंगे तेजस्वी

आरजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव ने छोटे बेटे तेजस्वी यादव को पार्टी का उत्तराधिकारी बनाने का फैसला लिया है। आरजेडी की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में तेजस्वी यादव को लालू यादव की विरासत सौंपी गई है। अब तेजस्वी पद में लालू यादव के बराबर हो गए हैं। वे पार्टी के महत्वपूर्ण फैसले ले सकेंगे। पार्टी के सिंबल जारी करने का अधिकार भी तेजस्वी यादव को मिल गया है।

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कुर्सी की वजह से परिवार पर पड़ेगा असर? 

लालू यादव की बेटी मीसा भारती और रोहिणी आचार्य भी राजनीति में एक्टिव हैं। तेजस्वी के बड़े भाई तेज प्रताप यादव भी बिहार सरकार में 2 बार मंत्री रह चुके हैं। लेकिन पार्टी की कमान तेजस्वी यादव को सौंपी गई है। दरअसल, तेजस्वी 2 बार बिहार के उप मुख्यमंत्री रह चुके हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव के नेतृत्व में आरजेडी बिहार की सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। वे लगातार राजनीति में सक्रिय हैं और पार्टी को संभाल रहे हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि लालू यादव को तेजस्वी के नेतृत्व पर सबसे ज्यादा भरोसा है, यही वजह है कि उन्होंने छोटे बेटे को उत्तराधिकारी बनाने का फैसला लिया है। हालांकि परिवार में इसे लेकर कोई मुखर न हो पाए, इसलिए राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी फिलहाल लालू यादव ने अपने पास ही रखी है। 

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नीतीश कुमार की मुश्किलें बढ़ेंगी? 

आरजेडी की बागडोर तेजस्वी यादव के हाथ में आने से नीतीश कुमार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। दरअसल, नीतीश के महागठबंधन में वापस शामिल होने की चर्चाएं हैं। लालू यादव नीतीश कुमार को लेकर नरम रुख अपना रहे हैं। उन्होंने बयान देते हुए कहा था कि आरजेडी के दरवाजे खुले हैं। वहीं तेजस्वी इसके ठीक उलट हैं। तेजस्वी ने कहा था कि नीतीश के साथ जाना, पैर पर कुल्हाड़ी मारना है। अब देखना होगा कि आरजेडी में हुए इस बदलाव से नीतीश कुमार पर क्या असर पड़ता है। 

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