नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
Mustafabad Vidhansabha Analysis: दिल्ली की मुस्तफाबाद विधानसभा सीट का मुकाबला बेहद दिलचस्प नजर आ रहा है। आमतौर पर दिल्ली की सभी विधानसभा सीटों पर भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है, लेकिन मुस्तफाबाद में चौथी पार्टी बड़ा खेल कर सकती है। दरअसल, असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन को मैदान में उतारा है, जिसकी वजह से मुस्तफाबाद सीट पर सबकी निगाहें टिक गई हैं।
गेम चेंजर बनेंगे मुस्लिम मतदाता?
मुस्तफाबाद मुस्लिम बहुल इलाका है। इस विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 2.6 लाख के करीब है, जिनमें तकरीबन 1 लाख मुस्लिम वोटर हैं। ऐसे में मुस्लिम मतदाता इस सीट पर गेमचेंजर साबित होते है। ये 40 प्रतिशत वोटर जिसके साथ जाता है, उसी पार्टी की जीत होती है।
AIMIM बिगाड़ेगी खेल?
मुस्तफाबाद सीट से आम आदमी पार्टी ने हाजी युनूस का टिकट काटकर आदिल अहमद खान पर दांव लगाया है। कांग्रेस ने अली मेहंदी को टिकट दिया है, वहीं भाजपा ने दिग्गज नेता मनोज बिष्ट पर दांव लगाया है। AIMIM ने दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन को मैदान में उतारा है। ऐसे में तीन बड़ी पार्टियों से मुस्लिम प्रत्याशी आमने-सामने हैं, जिससे वोट बैंक बंट सकता है और इसका फायदा भाजपा को मिल सकता है। इस सीट पर कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है।
मुस्तफाबाद के सियासी समीकरण
मुस्तफाबाद सीट पर 2008 और 2013 में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। 2015 में भाजपा ने इस सीट पर कब्जा किया। इसके बाद 2020 में आम आदमी पार्टी ने मुस्तफाबाद सीट पर जीत दर्ज की थी। 2020 में मुस्लिम वोटरों ने एकमुश्त होकर आप को वोट दिए थे। हालांकि, कुछ समय पहले हुए नगर निगम के चुनावों में आप को पांचों वार्डों में हार का मुंह देखना पड़ा था। अब देखना होगा कि 2025 में मुस्तफाबाद सीट किसके नाम होती है।
दिल्ली का चुनावी दंगल
आपको बता दें कि दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों पर चुनाव होना है। 5 फरवरी को मतदान किया जाएगा, वहीं 8 फरवरी को नतीजे सामने आएंगे। दिल्ली की सत्ता पाने के लिए सभी सियासी दल पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। सभी पार्टियां अपनी-अपनी जीत का दावा कर रही हैं, अब देखना होगा कि दल्ली का सरताज कौन बनता है।
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