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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। सरकार ने एक संसदीय समिति को बताया कि अमेरिका के साथ व्यापार वार्ताओं में कुछ ‘रेड लाइन’ को पार नहीं किया जा सकता है और उच्च अमेरिकी शुल्क के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए केंद्रित प्रयास किए जा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, विदेश सचिव विक्रम मिस्री और वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता वाली विदेश मामलों की स्थायी समिति को भारत-अमेरिका व्यापार वार्ताएं और शुल्क विषय पर जानकारी दी।
व्यापार संबंध ‘मुश्किल दौर’ में
सूत्रों के मुताबिक, संसदीय समिति को बताया गया कि व्यापार संबंध ‘मुश्किल दौर’ से गुजर रहे हैं और सरकार इससे निपटने के उपाय कर रही है। सूत्रों ने कहा कि व्यापार वार्ता से जुड़ी ‘रेड लाइन’ का आशय कृषि एवं डेयरी क्षेत्र को खोलने की अमेरिकी मांग पर भारत के अडिग रुख से है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के अधिकांश उत्पादों पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाने का ऐलान किया है। इसके बाद भारतीय उत्पादों पर कुल शुल्क बढ़कर 50 प्रतिशत हो गया है। इसके साथ ही ट्रंप ने कहा है कि शुल्क विवाद का निपटारा न होने तक भारत के साथ कोई भी व्यापार वार्ता नहीं होगी।
द्विपक्षीय व्यापार समझौते को लेकर कई दौर की वार्ता
दोनों देश द्विपक्षीय व्यापार समझौते को लेकर कई दौर की बातचीत कर चुके हैं। इसके साथ ही, सरकार ने कहा कि अमेरिकी शुल्क के प्रभाव को कम करने के लिए निर्यात विविधीकरण रणनीति पर जोर देने और अन्य देशों के साथ व्यापार समझौतों का लाभ उठाने की तैयारी चल रही है। हालांकि सरकार ने संसदीय समिति से कहा कि भारत-अमेरिका संबंधों को केवल व्यापारिक तनाव से नहीं आंका जाना चाहिए और उन्हें ‘स्थायी एवं रणनीतिक’ साझेदारी के रूप में देखा जाना चाहिए। India US Trade Relations | Parliamentary Panel India | Economic Relations | Indo US Business