नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। 2जी घोटाले में तिहाड़ जेल जा चुकीं डीएमके सांसद कनिमोझी करुणानिधि भी पाकिस्तान की पोल खोलने के लिए बनाए गए सांसदों के डेलीगेशन का हिस्सा होंगी। तीन भाषा विवाद के दौरान केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के द्वारा तमिलनाडु के सांसदों को लेकर दिए गए विवादित बयान के बाद कड़ा विरोध दर्ज कराने के मामले में कनिमोझी करुणानिधि काफी चर्चा में रही थीं।
कनिमोझी 2011 में भेजी गई थीं जेल
2011 में सीबीआई ने कनिमोझी को गिरफ्तार किया था, गिरफ्तारी के बाद 20 मई, 2011 को कोर्ट ने उन्हें तिहाड़ जेल भेज दिया था। सात माह से अधिक समय तक जेल में रहने के बाद कनिमोझी को 28 नवंबर, 2011 को हाईकोर्ट से मिल गई थी और फिर 21 दिसंबर, 2017 को सीबीआई की विशेष अदालत ने उन्हें सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था। हालांकि 22 मार्च, 2024 को दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीआई की ट्रायल कोर्ट के विरोधाभासी फैसले पर पुनर्विचार याचिका स्वीकार कर ली थी।
क्या है 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला?
यह घोटाला उस समय सामने आया जब 122 टेलीकॉम लाइसेंस कथित तौर पर नियमों को ताक पर रखकर बेहद कम कीमत पर बांटे गए। सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार, इससे भारत सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपये तक का नुकसान हुआ। तत्कालीन मंत्री ए. राजा पर नियमों की अनदेखी कर कुछ कंपनियों को फायदा पहुंचाने और रिश्वत लेने के आरोप लगे थे। 2017 में ट्रायल कोर्ट से बरी होने के बाद कनिमोझी समेत सभी 15 आरोपियों के खिलाफ हाईकोर्ट में मामला विचाराधीन है।