हरिद्वार, वाईबीएन नेटवर्क।
खानपुर के निर्दलीय विधायक के कैंप ऑफिस पर फायरिंग मामले में अरेस्ट पूर्व विधायक कुँवर प्रणव सिंह चैंपियन पिछले करीब डेढ़ महीने से पुलिस कास्टडी में हैं। तबीयत बिगड़ने पर करीब 18 दिन पहले जेल प्रशासन द्वारा उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लेकिन अब तबीयत ठीक होने पर भी स्वास्थ्य विभाग पूर्व विधायक को डिस्चार्ज नहीं कर रहा है। जबकि जेल प्रशासन इस संबंध में विभाग को कई बार पत्र लिखकर उनकी रिपोर्ट मांग चुका है। इसको लेकर न सिर्फ स्वास्थ्य विभाग बल्कि जेल प्रशासन भी सवालिया घेरे में है।
क्या है मामला
बता दें की 26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर पूर्व विधायक कुँवर प्रणव सिंह चैंपियन अपने सैंकड़ों समर्थकों के साथ वर्तमान विधायक उमेश कुमार के कैंप कार्यालय पर पहुँच गए थे। इस दौरान विधायक को गाली देते हुए उन्होंने और उनके समर्थकों ने विधायक को गालियां देते हुए कैंप ऑफिस पर ताबड़तोड़ फायरिंग की थी। इस दौरान उनके समर्थकों ने कैंप ऑफिस पर रखे गमले भी तोड़ दिए थे। जिसका वीडियो भी खूब वायरल हुआ था। उस दौरान इस हमले से बौखलाए विधायक उमेश कुमार भी रिवॉल्वर लेकर चैंपियन के पीछे दौड़ पड़े थे। उनके समर्थकों और सुरक्षाकर्मियों ने बड़ी मुश्किल से उन्हें रोका था।
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ये हुई थी कार्रवाई
विधायक की शिकायत और वायरल वीडियो के आधार पर पुलिस ने पूर्व विधायक चैंपियन को उसी शाम देहरादून से गिरफ्तार कर लिया था। जिसके बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया गया था जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायायिक हिरासत में भेज दिया गया था।
कब से अस्पताल में भर्ती
15 फरवरी की रात को पूर्व विधायक को खूनी दस्त की शिकायत पर जेल प्रशासन ने जिला अस्पताल भेजा था जहां डॉक्टरों ने उनकी हालत गंभीर बताते हुए एडमिट कर लिया था। तब से अभी तक वो अस्पताल में ही भर्ती हैं। गुरुवार को उन्हें कोर्ट में पेश किया गया था जहां सुनवाई के बाद जज ने उनकी न्यायिक हिरासत की अवधि को 14 दिन और बढ़ा दिया था। जिसके बाद उन्हें वापस जिला अस्पताल भेज दिया गया था।
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क्या है विवाद
अब विवाद इस बात को लेकर है कि ठीक होने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग आरोपी पूर्व विधायक को डिस्चार्ज कर वापस जेल नहीं भेज रहा है। जबकि जेल प्रशासन उनकी तबीयत के संबंध में स्वास्थ्य विभाग को कई बार पत्र लिख चुका है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग जेल अधिकारियों को चैंपियन की मेडिकल रिपोर्ट नहीं भेज रहा है। दूसरी तरह जेल प्रशासन भी इस मामले सिर्फ पत्र भेजने तक ही सीमित नजर आ रहा है। जिसको लेकर वो सवालों के कतघरे में है। माना जा रहा है राजनीतिक पहुँच और बाहुबल के कारण ही पूर्व विधायक जेल के बजाय जिला अस्पताल मे आजादी से रह रहा है।