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नई दिल्ली ।सियासत में दबाव की राजनीति किसे कहते हैं इन दिनों बिहार में वोटर अधिकार यात्रा लेकर सड़कों पर निकले दो लड़कों’ के बयानों और उनकी भाव भंगिमा से देख सकते हैं। बिहार के दो लड़के यानी राजद नेता तेजस्वी यादव और कांग्रेस नेता राहुल गांधी, इस बार दोनों बिहार विधानसभा चुनावों से पहले महागठबंधन की ओर से एनडीए को हराने की जी तोड़ मेहनत करते दिख रहे हैं। हालांकि इस मेहनत के पीछे एक अन्य चेहरा भी नजर आ रहा है, जो हैं महागठबंधन का अहम चेहरा बनने की होड़।
पीछे कुछ तो चल रहा है
भले ही दोनों एक साथ नजर आएं , लेकिन पीछे से कुछ ऐसा चल रहा है, जो दोनों के साथ होने के बावजूद उनके बीच दूरी बनाए हुए हैं। दबाव की इस राजनीति के चलते ही तेजस्वी यादव ने राहुल गांधी को 2029 के चुनावों में पीएम पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया , लेकिन जब राहुल गांधी से तेजस्वी को बिहार का सीएम उम्मीदवार बनाने संबंधी सवाल पूछा, तो राहुल बातों को टरकाने लगे।
सियासी रणनीति समझ आने लगी है
असल में दोनों नेताओं के इन बयानों और भाव भंगिमाओं के पीछे की सियासी रणनीति अब समझ आने लगी है। बिहार विधानसभा चुनावों से पहले का मुद्दा उठाते हुए इन दिनों राहुल गांधी और तेजस्वी यादव वोटर अधिकार यात्रा निकाल रहे हैं , जो 23 जिलों की 50 विधानसभा सीटों से होकर गुजरेगी। दोनों नेता साथ – साथ एक ही गाड़ी पर नजर आते हैं, लेकिन जब बुलेट पर सवार होकर यात्रा करने की बात हो , दो दोनों एक ही बुलेट पर नहीं बल्कि अलग अलग बुलेट लेकर निकलते हैं।
बुलेट पर पीछे कौन बैठता
लाजमी है कि एक ही बुलेट पर सवार होंगे तो जो बुलेट चलाएगा... और जो पीछे बैठेगा... उसे लेकर सियासी कयासबाजियों का दौर शुरू हो जाएगा। अगर राहुल गांधी बुलेट चलाते हैं और तेजस्वी यादव पीछे बैठते हैं, तो यह तेजस्वी को स्वीकार नहीं होगा, क्योंकि राज्य में महागठबंधन की चुनावी ड्राइविंग सीट पर वह बैठे हुए हैं। ऐसे में वह राहुल को यह ड्राइविंग सीट नहीं देंगे। वहीं राहुल गांधी भी पीछे बैठने को तैयार नहीं होंगे, क्योंकि ऐसा करते ही मान लिया जाएगा कि कांग्रेस खुद मान चुकी है कि वह बिहार में राजद के पीछे चल रही है , जो राहुल गांधी नहीं चाहते।
भाजपा ने लिया आड़े हाथ
चलिए अब इन दोनों लड़कों के साथ साथ घूमने लेकिन अंतरमन में अलग अलग विचार को लेकर आपको कुछ बताते हैं। इतना ही नहीं लेकिन सियासी बिसात बिछाए बैठी राजनीतिक पार्टियां अब इन बयानों और उनके पीछे के निहितार्थ जानते हुए अब इस घटनाक्रम को मुद्दा बनाने में जुट गई है । भाजपा ने तो इसे मुद्दा बनाना शुरू भी कर दिया है। बिहार के डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा ने तेजस्वी यादव को सीएम फेस बनाने के मामले में राहुल गांधी के टालमटोल करने पर कांग्रेस का घेराव किया। उन्होंने कहा कि यह परिवारवादी लोग अपनी अवसरवादिता की राजनीति और अपने स्वार्थ को साधने में लगे हैं। जनता मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को चुनती है। बिहार की धरती सेवक को चुनती है, मेवा खाने वालों को नहीं। वहीं भाजपा ने सोशल मीडिया पर मज़ाकिया लहजे में कह रही है—‘तेजस्वी को तो राहुल पसंद हैं, लेकिन राहुल को तेजस्वी नहीं। हार की जनता ने तेजस्वी को सीएम के रूप में कभी स्वीकार नहीं किया। इसी क्रम में नेताओं ने इस मुद्दे को भुनाना शुरू कर दिया है। अब ऐसे में आने वाले दिनों में यह मुद्दा और गर्मा सकता है।
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