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Abu Azmi ने उठाए महाराष्ट्र की मतदाता सूची पर सवाल, निष्पक्ष जांच की मांग

महाराष्ट्र समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अबू आसिम आजमी ने चुनाव हारने वाले बड़े नेताओं का हवाला देते हुए मतदाता सूची में गड़बड़ी की आशंका जताई है। उन्होंने बिना किसी राजनीतिक दबाव के निष्पक्ष जांच की मांग की है।

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Dhiraj Dhillon
Abu Azmi SP Leader
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। बिहार में चल रहे विशेष मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के दौरान मतदाता सूची में घपला उजागर होने के बाद यह मुद्दा गर्माने लगा है। सोमवार को महाराष्ट्र समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अबू आसिम आजमी ने राज्य की मतदाता सूची को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा- महाराष्ट्र में ऐसे कई बड़े नेता चुनाव हार गए जिनके हारने की कोई संभावना नहीं थी। हमें संदेह है कि महाराष्ट्र की मतदाता सूची में कुछ गड़बड़ी है। आजमी ने मांग की है कि मतदाता सूची की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और यह जांच किसी भी राजनीतिक दल या मुख्यमंत्री के दबाव से मुक्त होनी चाहिए। अबू आजमी के बयान के साथ ही इस बात के भी संकेत आने शुरू हो गए हैं कि आने वाले दिनों में यह मुद्दा और जोर पकड़ेगा और संसद के मानसून सत्र में इस मुद्दे पर पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोंकझोक भी होने वाली है।

“बिहार में फर्जी नाम मतदाता सूची से हटाए जाएं”

अबू आजमी ने आगे कहा- बिहार में मतदाता सूची में तमाम फर्जी नाम सामने आए हैं, जिन्हें सूची से हटाया जाना चाहिए। सपा नेता ने यह भी मांग की है कि ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई भी की जानी चाहिए, जिन्होंने फर्जी तरीके से नाम डलवाए हैं। अबू आसिम आजमी ने यह भी सुझाव दिया कि महाराष्ट्र में आगामी चुनावों से पहले पूरी मतदाता सूची की समीक्षा और पुनरीक्षण आवश्यक है। इससे पारदर्शी और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित किए जा सकें। हालांकि बिहार मतदाता सूची में घपला उजागर होने के बाद निर्वाचन आयोग ने पूरे देश की मतदाता सूची का स्पेशल इंटेशिव रिवीजन (SIR) कराने की तैयारी शुरू कर दी है, इसके लिए सभी राज्यों को अलर्ट भी कर दिया गया है।

कानूनी चुनौतियां भी सामने आ रही हैं

हालांकि स्पेशल इंटेशिव रिवीजन को लेकर राजनीतिक बहस और कानूनी चुनौतियां भी सामने आ रही है, जिनका फैसला आने वाले समय में तय होगा कि प्रक्रिया कितनी व्यापक और प्रभावी हो सकेगी। इस व्यापक प्रक्रिया पर कई विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि इससे कई पात्र नागरिकों को मताधिकार से वंचित होना पड़ सकता है। इसे लेकर शीर्ष अदालत में याचिका भी दायर की गई हैं। याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने 9 जुलाई को स्पेशल रिवीजन को रोकने से तो इंकार कर दिया लेकिन चुनाव आयोग से कई सवाल जरूर किए और कुछ सुझाव भी दिए थे। सर्वोच्च अदालत में मामले की आगे की सुनवाई के ल‌िए 28 जुलाई की तारीख दी है।
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