/young-bharat-news/media/media_files/2025/07/07/election-commission-of-india-1-2025-07-07-13-44-48.jpg)
Photograph: (Google)
00:00/ 00:00
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। बिहार में चल रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की तर्ज पर अब निर्वाचन आयोग ने पूरे देश में इसी प्रक्रिया को लागू करने की तैयारी शुरू कर दी है। आयोग ने सभी राज्यों की चुनाव मशीनरी को सक्रिय करते हुए विशेष गहन पुनरीक्षण की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। निर्वाचन आयोग का यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा और निष्पक्ष चुनाव प्रणाली की दिशा में बड़ा और निर्णायक माना जा रहा है। दरअसल बिहार में चल रहे चुनाव आयोग के डोर- टू- अभियान में काफी संख्या में विदेशी मतदाता होने की बात सामने आने के बाद यह मामला और संजीदा हो गया है,
कानूनी चुनौतियां भी सामने आ रही हैं
हालांकि इसे लेकर राजनीतिक बहस और कानूनी चुनौतियां भी सामने आ रही है, जिनका फैसला आने वाले समय में तय होगा कि प्रक्रिया कितनी व्यापक और प्रभावी हो सकेगी। इस व्यापक प्रक्रिया पर कई विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि इससे कई पात्र नागरिकों को मताधिकार से वंचित होना पड़ सकता है। इसे लेकर शीर्ष अदालत में याचिका भी दायर की गई है, जिस पर 28 जुलाई के बाद फिर सुनवाई होनी है।
राज्यों में पुरानी सूची के आधार पर होगी शुरुआत
कुछ राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों ने पहले किए गए SIR के आधार पर पुरानी मतदाता सूचियों को अपनी वेबसाइट पर जारी करना शुरू कर दिया है।
दिल्ली: अंतिम व्यापक पुनरीक्षण 2008 में हुआ था।
उत्तराखंड: आखिरी SIR वर्ष 2006 में किया गया था।
बिहार: 2003 की सूची को आधार बनाकर पुनरीक्षण हो रहा है। अन्य राज्यों में 2002 से 2004 के बीच किए गए पुनरीक्षण को आधार तिथि माना जाएगा।
उत्तराखंड: आखिरी SIR वर्ष 2006 में किया गया था।
बिहार: 2003 की सूची को आधार बनाकर पुनरीक्षण हो रहा है। अन्य राज्यों में 2002 से 2004 के बीच किए गए पुनरीक्षण को आधार तिथि माना जाएगा।
राष्ट्रीय स्तर पर होगी समीक्षा
निर्वाचन आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह देशभर में मतदाता सूचियों की गहन समीक्षा करेगा। इसका मकसद अवैध विदेशी नागरिकों को मतदाता सूची से बाहर करना है। खासकर बांग्लादेश और म्यांमार जैसे देशों से आए अवैध प्रवासियों पर निगाह रहेगी।
चुनावी परिदृश्य में महत्व
बिहार में इस वर्ष विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। वहीं असम, तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी और पश्चिम बंगाल में वर्ष 2026 में चुनाव होने हैं। इन राज्यों में अवैध मतदाता की आशंका को देखते हुए यह विशेष गहन पुनरीक्षण बेहद अहम माना जा रहा है।
Election Commission India | चुनाव आयोग विवाद | Voter List Controversy | Voter List Revision | Voter List Revision Issue