/young-bharat-news/media/media_files/2025/07/06/tmc-mp-mahua-moitra-2025-07-06-14-39-16.jpg)
Photograph: (Google)
Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क।बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांसद महुआ मोइत्रा ने भारत निर्वाचन आयोग के 24 जून के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इस याचिका में उन्होंने बिहार में चल रहे मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण को रद्द करने की मांग की है, मामले में उन्होंने संविधान के विभिन्न प्रावधानों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है।
Advertisment
/filters:format(webp)/young-bharat-news/media/media_files/2025/07/06/tmc-mp-mahua-moitra-2-2025-07-06-14-40-26.jpg)
जानिए महुआ ने अपनी याचिका में क्या कहा?
महुआ मोइत्रा ने अपनी याचिका में कहा कि यह आदेश संविधान के अनुच्छेद 14, 19(1)(ए), 21, 325, 328 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 तथा निर्वाचक पंजीकरण नियम, 1960 का उल्लंघन करता है। उनका दावा है कि अगर इस आदेश को लागू रखा गया, तो देशभर में पात्र मतदाताओं को मताधिकार से वंचित किया जा सकता है, जिससे लोकतंत्र और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया कमजोर होगी।
Advertisment
याचिका में क्या है मांग?
अधिवक्ता नेहा राठी के माध्यम से दायर इस रिट याचिका में महुआ ने सुप्रीम कोर्ट से दो प्रमुख मांगें की हैं। पहली, चुनाव आयोग के 24 जून के आदेश को रद्द किया जाए। दूसरी, आयोग को देश के अन्य राज्यों में इस तरह के विशेष पुनरीक्षण आदेश जारी करने से रोका जाए। याचिका में कहा गया है कि यह पहली बार है जब ईसीआई ने ऐसा अभ्यास शुरू किया है, जिसमें पहले से मतदाता सूची में शामिल लोगों से अपनी पात्रता साबित करने की मांग की जा रही है। यह अनुच्छेद 326 के खिलाफ है और अतिरिक्त शर्तें थोपता है, जो संविधान में शामिल नहीं हैं।
/filters:format(webp)/young-bharat-news/media/media_files/2025/07/06/tmc-mp-mahua-moitra3-2025-07-06-14-41-09.jpg)
Advertisment
मामला क्यों है अहम?
चुनाव आयोग ने 24 जून को बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के निर्देश दिए थे। इसका मकसद अपात्र नामों को हटाना और केवल पात्र नागरिकों को सूची में शामिल करना था। हालांकि, महुआ का कहना है कि यह प्रक्रिया मतदाताओं के अधिकारों का हनन करती है। बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसके चलते यह मामला और भी संवेदनशील हो गया है।
अन्य संगठन भी मैदान में
Advertisment
इससे पहले, गैर-सरकारी संगठन एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स - ADR ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इसी आदेश को चुनौती दी थी। संगठन ने भी मतदाता सूची पुनरीक्षण की प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं।
Bihar Assembly Elections 2025 | supreme court
Advertisment