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629 साल पुरानी रथ मेला परंपरा पर ममता सरकार ने लगाई रोक, हिंदू समुदाय में रोष

पश्चिम बंगाल के मालदा ज़िले के जलालपुर कस्बे में 629 साल से लगने वाला ऐतिहासिक रथ मेला इस बार आयोजित नहीं होगा। ममता बनर्जी सरकार ने मेले की अनुमति देने से इनकार कर दिया है, जिससे हिंदू समुदाय में आक्रोश है।

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Pratiksha Parashar
mamta banerjee, Mahaprabhu Temple Rath Mela, jalalpur rath mela
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क पश्चिम बंगाल (West Bengal) के मालदा ज़िले के जलालपुर कस्बे में हर साल लगने वाला ऐतिहासिक रथ मेला इस बार आयोजित नहीं किया जाएगा। राज्य की ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) सरकार ने मेले की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। यह परंपरा पिछले 629 वर्षों से जारी थी, लेकिन पहली बार इसे रोक दिया गया है, जिससे स्थानीय हिंदू समुदाय में भारी नाराजगी है। इस मामले को लेकर सियासत भी गरमा गई है। भाजपा ने ममता सरकार के ऊपर हिंदू विरोधी होने के आरोप लगाए हैं। 

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रथ यात्रा को मिली इजाज़त, लेकिन मेले पर रोक

महाप्रभु मंदिर के पास आयोजित होने वाला यह मेला करीब एक सप्ताह तक चलता है, जिसमें रथ यात्रा इसका प्रमुख हिस्सा होती है। इस बार प्रशासन ने केवल रथ यात्रा की अनुमति दी है, लेकिन मेले के आयोजन पर रोक लगा दी गई है। पुलिस ने तर्क दिया है कि इससे इलाके में कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती है।

पिछले वर्षों की घटनाओं को बताया कारण

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पुलिस का कहना है कि बीते कुछ वर्षों में मेला आयोजन के दौरान असामाजिक तत्वों द्वारा हिंसक घटनाएं, यहां तक कि हत्या जैसी वारदातें भी हुई हैं। इसी कारण स्थानीय प्रशासन ने राज्य सरकार के निर्देश पर मेले की अनुमति नहीं दी। प्रशासन का मानना है कि रोक लगाने से शांति बनी रहेगी।

आयोजकों और हिंदू समुदाय में रोष

रथ मेला समिति के आयोजकों का कहना है कि यह आयोजन सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से भी अहम है। इसमें सभी समुदायों के लोग भाग लेते हैं। आयोजक अब जिला प्रशासन और अदालत का दरवाज़ा खटखटाने की तैयारी कर रहे हैं।

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"बाबर के पहले से चल रही परंपरा"

रथ यात्रा समिति के सचिव गौतम मंडल ने कहा कि यह मेला बाबर और मुग़लों के आने से भी पहले से होता आ रहा है। इसे रोकना परंपरा और संस्कृति का अपमान है। यह केवल वोट बैंक की राजनीति का नतीजा है।

गरमाई सियासत

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इस मामले को लेकर सियासत भी गरमा गई है। TMC के राज्य महासचिव कृष्णेंदु नारायण चौधरी ने प्रशासन के फैसले को सही ठहराया और इसे पूरी तरह कानून-व्यवस्था से जुड़ा मामला बताया। वहीं, बीजेपी नेता अजय गांगुली ने आरोप लगाया कि निर्णय प्रशासन ने ज़रूर लिया, लेकिन इसके पीछे ममता सरकार की "हिंदू विरोधी नीति" काम कर रही है।

जगन्नाथ मंदिर में प्रसाद को लेकर नया विवाद

दीघा में हाल ही में खुले जगन्नाथ मंदिर में बांटे जा रहे प्रसाद को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। भाजपा ने आरोप लगाया है कि मंदिर के प्रसाद के लिए मिठाइयां मुस्लिम दुकानदारों से खरीदी जा रही हैं। इसमें गाजा और पेड़ा जैसे प्रसाद शामिल हैं। भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने 17 जून 2025 को सोशल मीडिया पर दुकानों की सूची साझा की, जिनके मालिक मुसलमान बताए जा रहे हैं। उनका कहना है कि यह ममता सरकार की नीति का हिस्सा है, जो मंदिर की पवित्रता को ठेस पहुंचा रही है। मालवीय ने यह भी कहा कि “पुरी के असली जगन्नाथ मंदिर में गैर-हिंदुओं को प्रवेश की अनुमति नहीं है, लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार मुस्लिम दुकानदारों से प्रसाद बनवा रही है, जो मंदिर की मर्यादा के खिलाफ है।”   west Bengal | mamta banerjee 

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